Book Name:Jhoot Ki Badboo
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारे मुआ़शरे में झूट की एक सूरत येह भी है कि लोग अपना माल बेचने के लिये झूट बोलते बल्कि झूटी क़सम उठाने से भी नहीं शर्माते । कारोबार (Business) में कसरत से झूट बोलना बद क़िस्मती से कमाल और तरक़्क़ी की अ़लामत जब कि مَعَاذَ اللّٰہ सच बोलने को बे वुक़ूफ़ी और तरक़्क़ी में रुकावट तसव्वुर किया जाता है । ऐसे लोगों को अपने ज़ेहन में येह बात अच्छी त़रह़ बिठा लेनी चाहिये कि अल्लाह पाक ने जो रिज़्क़ हमारे नसीब में लिख दिया है, वोही मिलेगा, न तो सच बोलने से हमारे ह़िस्से के रिज़्क़ में कोई कमी आएगी और न हम झूट बोल कर अपने ह़िस्से से ज़ियादा रिज़्क़ ह़ासिल कर सकते हैं, अलबत्ता झूट बोलना बे बरकती, मआ़शी तबाही और अल्लाह पाक की नाराज़ी का सबब है । इस बारे में दो फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये और कारोबार में झूट बोलने से तौबा कीजिये । चुनान्चे,
1. इरशाद फ़रमाया : ख़रीदने और बेचने वाले को जुदा होने से पहले पहले इख़्तियार है, अगर दोनों ने सच बोला और गवाह बनाए, तो उन के सौदे में बरकत दी जाएगी और अगर दोनों ने छुपाया और झूट बोला, तो हो सकता है उन को फ़ाइदा तो हो लेकिन उन के सौदे से बरकत उठा ली जाए ।
(ا بوداود،کتاب البیوع، باب فی خیار المتبایعین ، ص۳۷۷،حدیث: ۳۴۵۹)
2. इरशाद फ़रमाया : बेशक ताजिर ही गुनाहगार हैं । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! क्या अल्लाह करीम ने ख़रीदो फ़रोख़्त ह़लाल नहीं फ़रमाई ? तो प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : क्यूं नहीं ! लेकिन वोह बात करते हैं, तो झूट बोलते हैं, क़समें खाते हैं और गुनाहगार होते हैं । (مسند امام احمد ،حدیث عبد الرحمٰن بن شبل، ۵/۲۸۸، حدیث: ۱۵۵۳۰)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अगर हम सच्चाई, अमानत, अ़द्लो इन्साफ़, तक़्वा व परहेज़गारी, एह़सान व भलाई, ईसार व ख़ैर ख़्वाही को अपना कर इस्लाम के अ़त़ा कर्दा कारोबारी उसूलों (Rules) के मुत़ाबिक़