Book Name:Jhoot Ki Badboo
कमज़ोर हो जाता है, बार बार झूट बोलना ईमान की कमज़ोरी पर दलालत करता है । इसी बात की त़रफ़ इशारा करते हुवे अल्लाह पाक पारह 14, सूरतुन्नह़्ल की आयत नम्बर 105 में इरशाद फ़रमाता है :
اِنَّمَا یَفْتَرِی الْكَذِبَ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِۚ-وَ اُولٰٓىٕكَ هُمُ الْكٰذِبُوْنَ(۱۰۵)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : झूटा बोह्तान वोही बांधते हैं जो अल्लाह की आयतों पर ईमान नहीं लाते और वोही झूटे हैं ।
इस आयते मुबारका के तह़्त "तफ़्सीरे ख़ाज़िन" में है : ग़ैर मुस्लिमों की त़रफ़ से क़ुरआने पाक के बारे में रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर जो अपनी त़रफ़ से क़ुरआन बना लेने का इल्ज़ाम लगाया गया था, इस आयत में उस का रद्द किया गया है और इस आयत का ख़ुलासा येह है कि झूट बोलना और बोह्तान बांधना बे ईमानों ही का काम है । (تفسیرِ خازن ،النحل ،تحت الآیۃ:۱۰۵، ۳/۱۴۴،ملخصاً)
मश्हूर मुफ़स्सिरे क़ुरआन, इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह आयते करीमा इस बात पर मज़बूत़ दलील है कि झूट तमाम बड़े गुनाहों में सब से बड़ा गुनाह है क्यूंकि झूट बोलने और झूटा इल्ज़ाम (Blame) लगाने की जुरअत वोही शख़्स करता है जिसे अल्लाह करीम की निशानियों पर यक़ीन न हो । अल्लाह पाक का झूट की मज़म्मत में इस त़रह़ कलाम फ़रमाना निहायत ही सख़्त तम्बीह (या'नी ख़बरदार करना) है । (تفسیر کبیر:۷/۲۷۲، الجزءالعشرون،ملتقطاً)
ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! आप ने सुना कि क़ुरआने करीम में झूट को बे ईमानों की आ़दत क़रार दिया गया है । यक़ीनन झूट ऐसी बुरी आ़दत है कि ज़मानए जाहिलिय्यत में क़बीलों के बड़े सरदार भी इस से सख़्त नफ़रत करते और अपनी त़रफ़ झूट की निस्बत करना गवारा नहीं करते थे । चुनान्चे,
जब शाहे रूम के पास नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की त़रफ़ से ख़त़ की सूरत में इस्लाम की दा'वत पहुंची, तो उस ने अबू सुफ़्यान को अपने दरबार में बुलाया (जो उस वक़्त मुसलमान तो नहीं हुवे थे मगर नसब (या'नी ख़ानदान) के ए'तिबार से ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के क़रीबी थे) शाहे रूम ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नुबुव्वत की सच्चाई का अन्दाज़ा लगाने के लिये