Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
ही ह़सद के गुनाह से तौबा कीजिये और अपने बहन भाइयों की ख़ुशियां देख कर उन से जलने के बजाए उन की ने'मतों में इज़ाफे़ के लिये अल्लाह पाक से दुआ भी कीजिये ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बहन भाइयों में इत्तिफ़ाक़, इत्तिह़ाद क़ाइम रखने के लिये वालिदैन का किरदार भी अहम्मिय्यत का ह़ामिल है । वालिदैन को चाहिये कि अपने बच्चों के साथ एक जैसा सुलूक करें, उन्हें कोई चीज़ देने या शफ़्क़त व मह़ब्बत से पेश आने में बराबरी का उसूल अपनाएं, बिला वज्हे शरई़ किसी बच्चे को नज़र अन्दाज़ कर के दूसरे को उस पर तरजीह़ न दें कि इस से बच्चों के नाज़ुक दिलों पर बचपन ही से बुग़्ज़ व ह़सद की तेह जम सकती है जो उन की शख़्सी ता'मीर के लिये निहायत नुक़्सान देह है । वालिदैन का किसी एक बच्चे के साथ येह इम्तियाज़ी सुलूक देख कर दूसरे बहन भाई एह़सासे कमतरी का शिकार हो कर बसा अवक़ात ऐसा क़दम उठा लेते हैं जो उन की और वालिदैन की ज़िन्दगी के लिये इन्तिहाई नुक़्सान देह साबित होता है ।
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! वालिदैन को चाहिये कि अपने बच्चों की अच्छी तरबिय्यत करें, बचपन से ही उन्हें आपस में मह़ब्बत, एक दूसरे की जानो माल, इ़ज़्ज़त व आबरू की ह़िफ़ाज़त का ज़ेहन दें लेकिन अफ़्सोस ! वालिदैन की एक ता'दाद है जो इस इन्तिज़ार में रहती है कि अभी तो बच्चे छोटे हैं, जो चाहें करें, थोड़े बड़े हो जाएं, तो इन की अख़्लाक़ी तरबिय्यत करेंगे । ऐसे वालिदैन को चाहिये कि इस वाक़िए़ को ज़ेहन में रखते हुवे अपनी औलाद की तरबिय्यत पर भरपूर तवज्जोह दें क्यूंकि बच्चों की ज़िन्दगी के इब्तिदाई साल बक़िय्या ज़िन्दगी के लिये बुन्याद की ह़ैसिय्यत रखते हैं और पाएदार इ़मारत मज़बूत़ बुन्याद पर ही ता'मीर की जाती है, जो कुछ बच्चा अपने बचपन में सीखता है,