Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
(या'नी एक ने भी दफ़्ना दिया, तो सब बरिय्युज़्ज़िम्मा हो गए, वरना जिस जिस को ख़बर पहुंची थी और न दफ़्नाया गुनहगार हुवा) । येह जाइज़ नहीं कि मय्यित को ज़मीन पर रख दें और चारों त़रफ़ से दीवारें क़ाइम कर के बन्द कर दें । (बहारे शरीअ़त, जिल्द अव्वल, स. 842) ٭ क़ब्रें भी अल्लाह पाक की ने'मत हैं कि जिन में मुर्दे दफ़्न कर दिये जाते हैं ताकि जानवर और दूसरी चीज़ें उन की इहानत (या'नी तौहीन) न करें । ٭ सालिह़ीन (या'नी नेक बन्दों) के क़रीब दफ़्न करना चाहिये कि उन के क़ुर्ब की बरकत उसे शामिल होती है, अगर مَعَاذَ اللّٰہ मुस्तह़िक़े अ़ज़ाब (या'नी अ़ज़ाब का ह़क़दार) भी हो जाता है, तो वोह शफ़ाअ़त करते हैं, वोह रह़मत कि उन पर नाज़िल होती है, उसे भी घेर लेती है । ह़दीस में है, नबी صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ फ़रमाते हैं : अपने अम्वात (या'नी मुर्दों) को अच्छे लोगों के साथ दफ़्न करो । (حلیۃ الاولیاء ج ۶ ص ۳۹۰ رقم ۹۰۴۲, फ़तावा रज़विय्या, जि. 9, स. 385) ٭ रात को दफ़्न करने में कोई ह़रज नहीं । (جوہر ہ ص۱۴۱)
ए'लान
क़ब्र व दफ़्न के बारे में बक़िय्या अहम मदनी फूल तरबिय्यती ह़ल्क़ों में बयान किये जाएंगे, लिहाज़ा इन मदनी फूलों को जानने के लिये तरबिय्यती ह़ल्क़ों में ज़रूर शिर्कत कीजिये ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार
सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पढ़े जाने वाले
6 दुरूदे पाक और 2 दुआएं
{1} शबे जुमुआ का दुरूद :
اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِالْعَظِیْمِ
وَعَلٰی اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ الْجَاہِ
बुज़ुर्गों ने फ़रमाया कि जो शख़्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमा'रात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम अज़ कम एक मरतबा