Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
सफ़ह़ात) और आख़िर में शजरए क़ादिरिय्या, रज़विय्या, ज़ियाइय्या, अ़त़्त़ारिय्या भी पढ़ा और सुना जाता है, इस के बा'द शजरे के कुछ न कुछ अवरादो वज़ाइफ़ और इशराक़ व चाश्त के नवाफ़िल पढ़ने की भी तरकीब होती है । क़ुरआने मजीद पढ़ने, पढ़ाने और समझने, समझाने की तो क्या बात है !
रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिस शख़्स ने क़ुरआने पाक सीखा और सिखाया और जो कुछ क़ुरआने पाक में है उस पर अ़मल किया, तो क़ुरआन शरीफ़ उस की शफ़ाअ़त करेगा और जन्नत में ले जाएगा । (تاریخ ابن عساکر،۴۱/۳، معجم کبیر، ۱۰/۱۹۸ حدیث:۱۰۴۵۰)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! हमें भी चाहिये कि हम दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर 12 मदनी कामों के ज़रीए़ दा'वते इस्लामी का मदनी पैग़ाम ख़ूब आम करें और शरीअ़त के दाइरे में रहते हुवे दुन्या के साथ साथ अपनी आख़िरत बेहतर बनाने की कोशिश करें । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ ! येह मदनी माह़ोल बिगड़े हुवे लोगों को सुधारने में काफ़ी मदद फ़राहम करता है ।
पुराने इस्लामी भाइयों पर इनफ़िरादी कोशिश
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ हम मदनी कामों के ज़रीए़ नए नए इस्लामी भाई तो तय्यार करते ही हैं मगर हमें उन पुराने इस्लामी भाइयों से भी राबित़ा रखना चाहिये जो पहले मदनी माह़ोल से वाबस्ता थे और फ़राइज़ व वाजिबात के साथ साथ सुनन व मुस्तह़ब्बात पर इख़्लास व इस्तिक़ामत से अ़मल करने वाले थे मगर किसी को माली मसाइल ने दूर किया, तो किसी को बीमारियों ने धक्का मारा, कोई मसरूफ़िय्यत के सबब छोड़ गया, तो किसी ने शादी के बा'द आना छोड़ दिया और कोई वालिदैन के मन्अ़ करने पर मदनी माह़ोल से दूर हो गया । बहर ह़ाल वज्ह कोई भी हो, हमें उन पुराने इस्लामी भाइयों पर इनफ़िरादी कोशिश कर के उन्हें भी हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में अपने साथ लाना चाहिये, मदनी मुज़ाकरों, मदनी दौरों और मदनी क़ाफ़िलों में शिर्कत की दा'वत पेश करनी चाहिये, V इस की बरकत से मदनी कामों को चार चांद लग जाएंगे और उन इस्लामी भाइयों पर