Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रज़ाई़ बहन ह़ज़रते "शीमा" رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا येह ह़ज़रते बीबी ह़लीमा सा'दिया رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا की साह़िब ज़ादी थीं, जब लोगों ने उन को गिरिफ़्तार किया, तो उन्हों ने कहा कि मैं तुम्हारे नबी की बहन हूं । मुसलमान उन की शनाख़्त के लिये बारगाहे नुबुव्वत में लाए, तो ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन को पहचान लिया और जोशे मह़ब्बत में आप की आंखें नम हो गईं और आप ने अपनी चादरे मुबारक ज़मीन पर बिछा कर उन को बिठाया और कुछ ऊंट, कुछ बकरियां उन को दे कर फ़रमाया कि तुम आज़ाद हो, अगर तुम्हारा जी चाहे, तो मेरे घर पर चल कर रहो और अगर अपने घर जाना चाहो, तो मैं तुम को वहां पहुंचा दूं । उन्हों ने अपने घर जाने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की, तो निहायत ही इ़ज़्ज़त व एह़तिराम के साथ वोह उन के क़बीले में पहुंचा दी गईं । (المواھب اللدنیۃ مع شرح الزرقانی، باب غزوۃ اوطاس ،ج۳، ص۵۳۳)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना ! ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ अपनी रज़ाई़ बहन के साथ किस क़दर शफ़्क़त व मेहरबानी से पेश आए । जिस त़रह़ आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ अपनी अज़्वाजे मुत़हहरात, सह़ाबिय्यात और दीगर ख़ादिमाओं رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُنَّ वग़ैरा के साथ ह़ुस्ने सुलूक और उन की दिलजूई फ़रमाया करते थे, इसी त़रह़ आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की अ़त़ाओं और नवाज़िशों का सिलसिला अपनी रज़ाई़ बहन के साथ भी क़ाबिले दीद था कि जब आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रज़ाई़ बहन ह़ज़रते शीमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا, आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में ह़ाज़िर होतीं, तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उन की तशरीफ़ आवरी पर ख़ुशी से खड़े हो जाते, उन की दिलजूई फ़रमाते और उन पर ख़ूब नवाज़िशें भी फ़रमाते ।
आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इस पाकीज़ा अ़मल में हमारे लिये नसीह़त के मदनी फूल मौजूद हैं क्यूंकि आज हम में से कई इस्लामी भाई, बहन भाइयों वाले हैं मगर क्या हम अपने बहन भाइयों के साथ मह़ब्बतों भरा सुलूक करते हैं या नहीं ? क्या हमारे भाई, बहन भी हम से राज़ी हैं या नहीं ? क्या हम अपने भाई, बहनों को झाड़ते, मारते या गालियां तो नहीं देते ? क्या हम अपनी