Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
(شُعَبُ الْاِیمان ج ٦ ص ٢٧٦ حدیث ٨١٤٠) लिहाज़ा हमेशा अपने बहन, भाइयों, रिश्तेदारों से बना कर रखिये, उन के साथ ह़ुस्ने सुलूक का मुज़ाहरा करते रहिये क्यूंकि इस में फ़ाइदा ही फ़ाइदा है ।
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! हमारे प्यारे दीने इस्लाम ने हमें अपने बड़ों का एह़तिराम सिखाया है, हमारे बड़ों में, बड़े भाई का मक़ामो मर्तबा भी अदब के लाइक़ है । बड़े भाई के दिल में अल्लाह पाक की त़रफ़ से छोटे बहन भाइयों के लिये वालिद जैसी शफ़्क़त व मह़ब्बत रखी जाती है । बड़ा भाई वालिद की मौजूदगी में तो छोटों का ख़याल रखता है, उन की ज़रूरतों को पूरा भी करता है और अगर वालिद का सायए शफ़्क़त उठ जाए, तो बा'द में भी अपनी ज़िम्मेदारियां अच्छे त़रीके़ से निभाता है । बड़े भाई के इतने एह़सानात इस बात का तक़ाज़ा करते हैं कि छोटे बहन भाई उन का अदब करें, उन की इ़ज़्ज़त व तौक़ीर करते हुवे उन के शायाने शान मक़ामो मर्तबा दें, वालिदैन की ग़ैर मौजूदगी में उन्हें अपने वालिदैन का मर्तबा दें, वरना उन्हें अपना सरपरस्त ज़रूर समझें, उन की ग़ीबत, चुग़ली, उन के साथ लड़ाई, झगड़ा और उन के मुतअ़ल्लिक़ बद गुमानियों से बचें, ह़त्तल इमकान उन की जाइज़ ख़्वाहिशात और अह़कामात की तक्मील करें, हमेशा उन से अच्छे तअ़ल्लुक़ात क़ाइम रखें और अगर कभी नाराज़ हो जाएं, तो ख़ुद बढ़ कर बड़े भाई से मुआफ़ी मांगें और उन्हें मनाने के लिये जिस क़दर मुमकिन हो, कोशिश करें ।
ह़ज़रते सय्यिदुना जरीर बिन ह़ाज़िम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं कि मैं ने एक मरतबा ख़्वाब देखा कि मेरा सर मेरे हाथों में है, इस की ता'बीर जानने के लिये मैं ने अपना येह ख़्वाब मश्हूर ताबेई़ बुज़ुर्ग ह़ज़रते इमाम मुह़म्मद बिन सीरीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को सुनाया (जो ख़्वाबों की ता'बीर बताने में काफ़ी महारत रखते थे) । उन्हों ने मुझ से पूछा कि तुम्हारे वालिदैन में से कोई ज़िन्दा