Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
न ख़ुद किसी की चुग़ली करें और न ही यक्त़रफ़ा बात सुन कर दूसरे फ़रीक़ के बारे में कोई राए क़ाइम करें । अल्लाह पाक हमें चुग़ली की आफ़त से बचने की तौफ़ीक़ नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
"हाबील" और "क़ाबील" दोनों ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام के बेटे हैं । मन्क़ूल है कि रूए ज़मीन पर सब से पहला क़ातिल क़ाबील और सब से पहला मक़्तूल हाबील है । इन दोनों का वाक़िआ यूं है कि ह़ज़रते ह़व्वा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا के हर ह़म्ल में एक लड़का और एक लड़की पैदा होते थे और एक ह़म्ल के लड़के का दूसरे ह़म्ल की लड़की से निकाह़ किया जाता था । इस दस्तूर के मुत़ाबिक़ ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام ने क़ाबील के साथ पैदा होने वाली लड़की इक़्लीमा का निकाह़ अपने दूसरे बेटे हाबील के साथ करना चाहा मगर क़ाबील इस पर राज़ी न हुवा क्यूंकि इक़्लीमा ज़ियादा ख़ूब सूरत थी इस लिये वोह उस का त़लबगार हुवा । ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام ने उसे बहुत समझाया कि इक़्लीमा तेरे साथ पैदा हुई है, इस लिये वोह तेरी बहन है, उस के साथ तेरा निकाह़ नहीं हो सकता मगर क़ाबील अपनी ज़िद्द पर अड़ा रहा । बिल आख़िर ह़ज़रते आदम عَلَیْہِ السَّلَام ने ह़ुक्म दिया कि तुम दोनों अपनी अपनी क़ुरबानियां अल्लाह पाक के दरबार में पेश करो, जिस की क़ुरबानी मक़्बूल होगी, वोही इक़्लीमा का ह़क़दार होगा । उस ज़माने में क़ुरबानी की मक़्बूलिय्यत की येह निशानी थी कि आसमान से एक आग आती और जो क़ुरबानी अल्लाह पाक की बारगाह में मक़्बूल होती, तो उस को खा लिया करती थी । चुनान्चे, क़ाबील ने गेहूं की कुछ बालें और ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने एक बकरी क़ुरबानी के लिये पेश की । आसमानी आग ने ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की क़ुरबानी को खा लिया और क़ाबील के गेहूं को छोड़ दिया । इस बात पर क़ाबील के दिल में बुग़्ज़ व ह़सद पैदा हो गया और उस ने ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को क़त्ल कर देने की ठान ली और हाबील से कह दिया कि मैं तुझ को क़त्ल कर दूंगा । ह़ज़रते हाबील رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया कि क़ुरबानी क़बूल करना अल्लाह पाक का काम है और वोह तक़्वा व