Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "मुकाशफ़तुल क़ुलूब" सफ़ह़ा नम्बर 63 पर लिखा है : मह़ब्बत का सच्चा होना तीन चीज़ों से ज़ाहिर होता है । (1) मह़ब्बत करने वाला, मह़बूब की बातों को सब की बातों से अच्छा समझता हो । (2) उस की मह़फ़िल को तमाम की मह़ाफ़िल से बेहतर समझता हो और (3) उस की रिज़ा को, औरों की रिज़ा पर तरजीह़ देता हो । (मुकाशफ़तुल क़ुलूब, स. 63, मुलख़्ख़सन)

ह़ज़रते सय्यिदुना सहल बिन अ़ब्दुल्लाह तुस्तरी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक से मह़ब्बत, क़ुरआने पाक से मह़ब्बत करना है । अल्लाह पाक और क़ुरआने करीम से मह़ब्बत की निशानी रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नत से मह़ब्बत करना है और सुन्नत से मह़ब्बत की निशानी, आख़िरत से मह़ब्बत करना है । (मुकाशफ़तुल क़ुलूब, स. 71)

2.     मह़ब्बते इलाही की एक निशानी फ़राइज़ की अदाएगी के साथ साथ नवाफ़िल का एहतिमाम भी करना है और येह तो वोह काम है जो मह़ब्बत करने वाले को अल्लाह पाक का मह़बूब और पसन्दीदा बन्दा बना देता है ।

क़ुर्बे इलाही का ज़रीआ़

          ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया, अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है : जो मेरे किसी वली से दुश्मनी करे, उस से मैं ने लड़ाई का ए'लान कर दिया । मेरा बन्दा किसी चीज़ से मेरा इस क़दर क़ुर्ब ह़ासिल नहीं करता जितना फ़राइज़ से करता है । मेरा बन्दा नवाफ़िल के ज़रीए़ से हमेशा क़ुर्ब ह़ासिल करता रहता है, यहां तक कि मैं उसे मह़बूब बना लेता हूं । (بخاری، کتاب الرقاق، باب التواضع، ۴/۲۴۸،حدیث:۶۵۰۲)

3.      मह़ब्बते इलाही की एक निशानी, अल्लाह पाक के ज़िक्र में मश्ग़ूल रहना भी है और मह़ब्बते इलाही ह़ासिल होने का ज़रीआ़ भी । अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है :

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اذْكُرُوا اللّٰهَ ذِكْرًا كَثِیْرًاۙ(۴۱) وَّ سَبِّحُوْهُ بُكْرَةً وَّ اَصِیْلًا(۴۲)

(پ:۲۲، الاحزاب:۴۲،۴۱)