Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ ईमान वालो ! अल्लाह को बहुत ज़ियादा याद करो और सुब्ह़ो शाम उस की पाकी बयान करो ।
प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने आ़लीशान है : مَنْ اَحَبَّ شَیْأً اَکْثَرَ ذِکْرَہٗ जो शख़्स जिस से मह़ब्बत करता है, अक्सर उसी का ज़िक्र करता है ।
(کنزالعمال،کتاب الاذکار، الباب الاول،۱/۲۱۷، حدیث:۱۸۲۵)
ह़ज़रते अबुल ह़सन ज़न्जानी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : इ़बादत की बुन्याद तीन चीज़ें हैं : आंख, दिल और ज़बान । आंख इ़ब्रत के लिये, दिल ग़ौरो फ़िक्र के लिये, ज़बान सच्चाई का मर्कज़ और ज़िक्रो तस्बीह़ के लिये हो ।
(मुकाशफ़तुल क़ुलूब, स. 71)
ह़ज़रते सरी सक़त़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ कहते हैं : मैं ने ह़ज़रते शैख़ जुर्जानी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के पास पिसे हुवे सत्तू देखे । मैं ने पूछा : आप सत्तू के इ़लावा और कुछ क्यूं नहीं खाते ? उन्हों ने जवाब दिया : मैं ने खाना चबाने और सत्तू पीने में सत्तर तस्बीह़ात का अन्दाज़ा लगाया है (या'नी जितना वक़्त खाना खाने में लगता है, उतनी देर में 70 तस्बीह़ात पढ़ लेता हूं) । चालीस साल हुवे मैं ने रोटी खाई ही नहीं ताकि इन तस्बीह़ात का वक़्त ज़ाएअ़ न हो । (मुकाशफ़तुल क़ुलूब, स. 72)
3. मह़ब्बते इलाही की एक निशानी नफ़्स की ख़्वाहिशात के बा वुजूद अल्लाह पाक की रिज़ा पर अपनी पसन्द को क़ुरबान कर देना ।
ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक की इ़बादत तीन चीज़ों का नाम है । (1) शरीअ़त के अह़काम की पाबन्दी करना । (2) अल्लाह पाक की त़रफ़ से मुक़र्रर कर्दा फै़सलों और तक़्सीम पर राज़ी रहना और (3) अल्लाह पाक की रिज़ा के लिये अपने नफ़्स की ख़्वाहिशात को क़ुरबान कर देना । (बेटे को नसीह़त, स. 37, मुलख़्ख़सन)
ह़ज़रते सय्यिदुना सरी सक़त़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाया करते थे : चालीस साल से मेरे नफ़्स को शहद खाने की ख़्वाहिश है लेकिन आज तक मैं ने उस की ख़्वाहिश पूरी नहीं की । (तज़किरतुल औलिया, स. 163)