Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
सआ़दत ह़ासिल करते हैं । इस वक़्त भी हज़ारों वोह ह़ाफ़िज़े क़ुरआन ख़ुश नसीब जो मद्रसतुल मदीना (लिल बनीन) से ह़ाफ़िज़ बने, आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मुख़्तलिफ़ शो'बाजात में अपनी दीनी ख़िदमात पेश कर रहे हैं, कोई इमामत के मुसल्ले पर है, तो कोई तद्रीस के मन्सब पर पहुंच कर ता'लीमे क़ुरआन को आ़म करने में मसरूफ़ है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
घर में आने जाने की सुन्नतें और आदाब
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से घर में आने जाने की सुन्नतें और आदाब सुनते हैं । ٭जब घर से बाहर निकलें, तो येह दुआ़ पढ़िये : بِسْمِ اللہِ تَوَکَّلْتُ عَلَی اللہِ لَاحَوْلَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّا بِاللہِ तर्जमा : अल्लाह पाक के नाम से, मैं ने अल्लाह पाक पर भरोसा किया, अल्लाह पाक के बिग़ैर न त़ाक़त है, न क़ुव्वत । (ابوداو،د، ج۴ ص۴۲۰ حدیث۵۰۹۵) इस दुआ़ को पढ़ने की बरकत से सीधी राह पर रहेंगे, आफ़तों से ह़िफ़ाज़त होगी और अल्लाह पाक की मदद शामिले ह़ाल रहेगी । ٭ घर में दाख़िल होने की दुआ़ : اَللّٰھُمَّ اِنِّیۤ اَسْأَ لُکَ خَیْرَ الْمَوْلَجِ وَ خَیْرَ الْمَخْرَجِ بِسْمِ اللہ وَلَجْنَا وَ بِسْمِ اللہِ خَرَجْنَا وَ عَلَی اللہِ رَبِّنَاتَوَ کَّلْنَا (ऐज़न, ह़दीस : 5096) तर्जमा : ऐ अल्लाह पाक ! मैं तुझ से दाख़िल होने की और निकलने की भलाई मांगता हूं, अल्लाह पाक के नाम से हम (घर में) दाख़िल हुवे और उसी के नाम से बाहर आए और अपने रब्बे करीम पर हम ने भरोसा किया । दुआ़ पढ़ने के बा'द घर वालों को सलाम करे फिर बारगाहे रिसालत में सलाम अ़र्ज़ करे, इस के बा'द सूरतुल इख़्लास पढ़े, اِنْ شآءَ اللہ रोज़ी में बरकत और घरेलू झगड़ों से बचत होगी । ٭ अपने घर में आते जाते मह़ारिम व मह़रिमात (मसलन मां-बाप, भाई, बहन, बाल बच्चे वग़ैरा) को सलाम कीजिये । ٭ अल्लाह पाक का नाम लिये बिग़ैर मसलन बिस्मिल्लाह कहे बिग़ैर जो घर में दाख़िल होता है, शैत़ान भी उस के साथ दाख़िल हो जाता है । ٭ अगर ऐसे मकान (ख़्वाह अपने ख़ाली घर) में जाना हो कि उस में कोई न हो,