Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
ह़ज़रते सय्यिदुना अबू दर्दा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमान है : ह़ज़रते दावूद عَلَیْہِ السَّلَام येह दुआ़ मांगा करते थे : اَللّٰہُمَّ اِنِّیْ اَسْئَلُکَ حُبَّکَ وَحُبَّ مَنْ یُّحِبُّکَ وَالْعَمَلِ الَّذِیْ یُبَلِّغُنِیْ حُبَّک ऐ अल्लाह पाक ! मैं तुझ से तेरी, तेरे मह़बूब बन्दों की मह़ब्बत और उन आ'माल की मह़ब्बत मांगता हूं जो मुझे तेरी मह़ब्बत तक पहुंचा दें, اَللّٰہُمَّ اجْعَلْ حُبَّکَ اَحَبَّ اِلَیَّ مِنْ نَفْسِیْ وَمَالِیْ وَاَہْلِیْ وَمِنَ الْمَاءِ الْبَارِدِ ऐ अल्लाह पाक ! अपनी मह़ब्बत को मेरे लिये मेरी जानो माल, घर वालों और ठन्डे पानी से ज़ियादा मह़बूब बना दे । (مشکاۃ المصابیح کتاب الدعوات باب جامع الدعا،۱/ ۴۶۵ حدیث:۲۴۹۶)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि अल्लाह पाक के प्यारे नबी, ह़ज़रते सय्यिदुना दावूद عَلَیْہِ السَّلَام अल्लाह पाक से उस की मह़ब्बत की दुआ़ मांगा करते, लिहाज़ा हमें भी चाहिये कि हम भी अपने रब्बे करीम से उस की मह़ब्बत की दुआ़एं मांगा करें । यक़ीन कीजिये ! मह़ब्बते इलाही वोह अ़ज़ीम ने'मत है, जिसे नसीब हो जाए, उसे इ़बादत की लज़्ज़त और ईमान की चाशनी नसीब हो जाए ।
ह़ज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने आ़लीशान है : ثَلاَثٌ مَنْ کُنَّ فِیْہِ وَجَدَ بِہِنَّ حَلَاوَۃَ اْلاِیْمَانِ जिस शख़्स के अन्दर तीन आ़दतें होंगी, वोह उन के ज़रीए़ ईमान की मिठास पा लेगा । (1) اَنْ یَّکُوْنَ اللّٰہُ وَرَسُوْلُہُ اَحَبَّ اِلَیْہِ مِمَّا سِوَاہُمَا अल्लाह पाक और उस का रसूल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उसे सब से ज़ियादा मह़बूब हों । (2) وَاَنْ یُّحِبَّ الْمَرْءَ لَا یُحِبُّہٗ اِلَّا لِلّٰہِ किसी से मह़ब्बत करे, तो रिज़ाए इलाही के लिये करे । (3) وَاَنْ یَّکْرَہَ اَنْ یَّعُوْدَ فِی الْکُفْرِ کَمَا یَکْرَہُ اَنْ یُوْقَدَ لَہٗ نَارٌ فَیُقْذَفَ فِیْہَا कुफ़्र को इतना ही ना पसन्द करे जितना भड़क्ती आग में डाल दिये जाने को ना पसन्द करता है । (شعب الایمان ،باب فی محبۃ اللہ ، ۱/۳۶۴،حدیث: ۴۰۵)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि एक मुसलमान के दिल में अल्लाह पाक और उस के प्यारे रसूल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मह़ब्बत काइनात की