Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
पांच की चाहत, पांच से ग़फ़्लत
नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : سَیَأْ تِیْ زَمَانٌ عَلٰی اُمَّتِیْ یُحِبُّوْنَ خَمْسًا وَ یَنْسَوْنَ خَمْسًا मेरी उम्मत पर वोह ज़माना जल्द आएगा कि वोह पांच से मह़ब्बत रखेंगे और पांच को भूल जाएंगे : (1) یُحِبُّوْنَ الدُّنیَا وَ یَنْسَوْنَ الْاٰخِرۃَ दुन्या से मह़ब्बत रखेंगे और आख़िरत को भूल जाएंगे । (2) وَیُحِبُّوْنَ الْمَالَ وَ یَنْسَوْنَ الْحِسَابَ माल से मह़ब्बत रखेंगे और ह़िसाबे (आख़िरत) को भूल जाएंगे । (3) وَیُحِبُّوْنَ الْخَلْقَ وَیَنْسَوْنَ الْخَالِقَ मख़्लूक़ से मह़ब्बत रखेंगे और मख़्लूक़ को पैदा करने वाले को भूल जाएंगे । (4) وَیُحِبُّوْنَ الذُّنُوْبَ وَیَنْسَوْنَ التَّوبَۃَ गुनाहों से मह़ब्बत रखेंगे और तौबा को भूल जाएंगे । (5) وَیُحِبُّوْنَ الْقُصُوْرَ وَیَنْسَوْنَ الْمَقْبَرَۃَ मह़ल्लात से मह़ब्बत रखेंगे और क़ब्रिस्तान को भूल जाएंगे । (مُکاشَفۃُ الْقُلوب،الباب العاشر فی العشق، ص۳۴)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
मह़ब्बते इलाही की 7 अ़लामतें
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आइये ! दिल में मह़ब्बते इलाही बढ़ाने के लिये क़ुरआनो ह़दीस और अक़्वाले बुज़ुर्गाने दीन की रौशनी में "मह़ब्बते इलाही" की 7 निशानियां सुनते हैं ।
1. मह़ब्बते इलाही की एक निशानी क़ुरआने करीम की तिलावत करना और उस का तर्जमा व तफ़्सीर पढ़ना, समझना, मह़ब्बते इलाही की अ़लामत है । अल्लाह पाक के नेक बन्दे जब उस का कलाम सुनते हैं और उस में ग़ौरो फ़िक्र करते हैं, तो उन की आंखों से आंसू जारी हो जाते हैं । चुनान्चे, पारह 7, सूरतुल माइदह की आयत नम्बर 83 में इरशादे बारी है :
وَ اِذَا سَمِعُوْا مَاۤ اُنْزِلَ اِلَى الرَّسُوْلِ تَرٰۤى اَعْیُنَهُمْ تَفِیْضُ مِنَ الدَّمْعِ مِمَّا عَرَفُوْا مِنَ الْحَقِّۚ-(پ:۷،المائدۃ:۸۳)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और जब येह सुनते हैं वोह जो रसूल की त़रफ़ नाज़िल किया गया, तो तुम देखोगे कि उन की आंखें आंसूओं से उबल पड़ती हैं इस लिये कि वोह ह़क़ को पहचान गए ।