Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat
सुन्नतों का पाबन्द बनाने, दिल में इ़श्के़ रसूल की शम्अ़ जलाने और जन्नतुल फ़िरदौस में मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का पड़ोस पाने का शौक़ बढ़ाने के लिये अच्छा माह़ोल और नेक लोगों की सोह़बत बेह़द ज़रूरी है क्यूंकि आज मुआ़शरे के ख़राब ह़ालात में गुनाहों का ज़ोरदार सैलाब जिसे देखो बहाए लिये जा रहा है । ऐसे में आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक, दा'वते इस्लामी का मदनी माह़ोल किसी बड़ी ने'मत से कम नहीं, लिहाज़ा आप भी इस मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिये ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी इस नाज़ुक दौर में मह़ब्बते इलाही के जाम पिलाने और इ़श्के़ रसूल से दिलों को मा'मूर करने के साथ साथ ख़िदमते दीन के कमो बेश 107 शो'बाजात में सुन्नतों की धूमें मचा रही है, इन्ही में से एक शो'बा "मद्रसतुल मदीना" भी है । इस मजलिस के तह़्त मुल्क व बैरूने मुल्क में मदनी मुन्नों की ता'लीमो तरबिय्यत के लिये "मद्रसतुल मदीना (लिल बनीन)" और मदनी मुन्नियों के लिये "मद्रसतुल मदीना (लिल बनात)" क़ाइम हैं, जिन में तज्वीद व क़िराअत के साथ क़ुरआने करीम ह़िफ़्ज़ व नाज़िरा पढ़ाया जाता है । मद्रसतुल मदीना में मदनी मुन्नों और मदनी मुन्नियों को दीनी ता'लीम से आरास्ता करने के साथ साथ बिल ख़ुसूस उन की अख़्लाक़ी व मदनी तरबिय्यत पर भी ख़ुसूसी तवज्जोह दी जाती है, इस्लामी अह़कामात के मुत़ाबिक़ इस्लामी ज़िन्दगी गुज़ारने का अन्दाज़ सिखाया जाता है, सुन्नतें व आदाब बताए और सिखाए जाते हैं, मां-बाप का अदबो एह़तिराम सिखाया जाता है, छोटों से शफ़्क़त और बड़ों का अदब करना सिखाया जाता है, नमाज़ों का पाबन्द और सुन्नतों पर अ़मल करने वाला बनाने की कोशिश की जाती है, झूट बोलने से बचने का मदनी ज़ेहन दिया जाता है ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! मद्रसतुल मदीना (लिल बनीन) से ह़िफ़्ज़े क़ुरआन की सआ़दत ह़ासिल करने वाले हज़ारों ख़ुश नसीब ह़ाफ़िज़े क़ुरआन हर साल मुल्क व बैरूने मुल्क में नमाज़े तरावीह़ में क़ुरआने करीम (या'नी मुसल्ले) सुनने, सुनाने की