Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

3.      मह़ब्बते इलाही की एक निशानी अपना दिल दुन्या की मह़ब्बत से ख़ाली कर के मुकम्मल त़ौर पर अल्लाह पाक की बारगाह में झुकाए रखना भी है । मन्क़ूल है : अल्लाह पाक ने ह़ज़रते सय्यिदुना ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام की त़रफ़ वह़्य उतारी : ऐ ई़सा ! जब किसी बन्दे का दिल दुन्या व आख़िरत की मह़ब्बत से पाको साफ़ हो जाता है, तो उस में अपनी मह़ब्बत भर देता हूं ।

4.      मह़ब्बते इलाही की एक निशानी ऐसे तमाम कामों से दूर रहना है जो अल्लाह पाक का क़ुर्ब ह़ासिल होने में रुकावट बनते हों ।

ह़ज़रते सय्यिदुना ज़ुन्नून मिस्री رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक से मह़ब्बत करने वाले की निशानी येह भी है कि हर उस चीज़ को छोड़ दे जो अल्लाह पाक की याद से ग़ाफ़िल कर दे और अपने आप को अल्लाह पाक की रिज़ा वाले कामों में मसरूफ़ रखे । (الزہدالکبیر, ص ۷۸)

5.      मह़ब्बते इलाही की एक निशानी अल्लाह पाक से सच्ची मह़ब्बत करने वाले नेक लोगों के नक़्शे क़दम पर चलना और उन की सोह़बत इख़्तियार करना भी है ।

शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ फ़रमाते हैं : हमेशा ऐसी सोह़बत इख़्तियार करनी चाहिये जिस से इ़बादत का शौक़ और सुन्नत पर अ़मल करने का ज़ौक़ बढ़े । दोस्त ऐसा हो जिसे देख कर अल्लाह पाक याद आ जाए, उस की बातों से नेकियों की त़रफ़ रग़बत बढ़े, दुन्या की मह़ब्बत में कमी और आख़िरत की मह़ब्बत ज़ियादा हो । दोस्त ऐसा हो कि उस के सबब अल्लाह पाक और उस के प्यारे रसूल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मह़ब्बत में इज़ाफ़ा हो, ग़ैर सन्जीदा ह़रकतें करने वालों, फै़शन परस्तों और बे नमाज़ियों की सोह़बत से बचना चाहिये ।

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मह़ब्बते इलाही बढ़ाने, रिज़ाए इलाही पाने, दिल में ख़ौफे़ ख़ुदा जगाने, ईमान की ह़िफ़ाज़त का जज़्बा बढ़ाने, ख़ुद को क़ब्र और दोज़ख़ के अ़ज़ाब से डराने, गुनाहों की आ़दत मिटाने, अपने आप को