Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

तो येह कहिये : اَلسَّلَامُ عَلَیْنَا وَعَلیٰ عِبَادِ اللہِ الصّٰلِحِیْن (या'नी हम पर और अल्लाह पाक के नेक बन्दों पर सलाम) फ़िरिश्ते इस सलाम का जवाब देंगे । (رَدُّالْمُحتارج۹ ص ۶۸۲) या इस त़रह़ कहे : اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ اَیُّھَا النَّبِیُّ (या'नी या नबी आप पर सलाम) क्यूंकि प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रूह़े मुबारक मुसलमानों के घरों में तशरीफ़ फ़रमा होती है । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा 3, 16 / 453, شرح الشفاء،الباب الرابع،فصل في المواطن التی تستحب فیھا الصلاۃ والسلام،۲/۱۱۸) ٭ जब किसी के घर में दाख़िल होना चाहें, तो इस त़रह़ कहिये : اَلسَّلَامُ عَلَیْکُم क्या मैं अन्दर आ सकता हूं ? ٭ अगर दाख़िले की इजाज़त न मिले, तो ख़ुशी ख़ुशी लौट जाइये, हो सकता है किसी मजबूरी के तह़्त साह़िबे ख़ाना ने इजाज़त न दी हो । ٭ जब आप के घर पर कोई दस्तक दे, तो सुन्नत येह है कि पूछिये : कौन है ? बाहर वाले को चाहिये कि अपना नाम बताए, मसलन कहे : मुह़म्मद इल्यास । नाम बताने के बजाए इस मौक़अ़ पर "मदीना !, मैं हूं !, दरवाज़ा खोलो" वग़ैरा कहना सुन्नत नहीं । ٭ जवाब में नाम बताने के बा'द दरवाज़े से हट कर खड़े हों ताकि दरवाज़ा खुलते ही घर के अन्दर नज़र न पड़े । ٭ किसी के घर में झांकना ममनूअ़ है । बा'ज़ लोगों के मकान के सामने नीचे की त़रफ़ दूसरों के मकानात होते हैं, लिहाज़ा बाल्कूनी वग़ैरा से झांकते हुवे इस बात का ख़याल रखना चाहिये कि उन के घरों में नज़र न पड़े । ٭ किसी के घर जाएं, तो वहां के इन्तिज़ामात पर बेजा तन्क़ीद न कीजिये, इस से उस की दिल आज़ारी हो सकती है । ٭ वापसी पर अहले ख़ाना के ह़क़ में दुआ़ भी कीजिये और शुक्रिया भी अदा कीजिये और सलाम भी और हो सके तो कोई सुन्नतों भरा रिसाला वग़ैरा भी तोह़्फ़े में पेश कीजिये ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد