Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

बयान सुनने की निय्यतें

        ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम की ख़ात़िर जब तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा । ٭ बयान के बा'द इस्लामी भाइयों से ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम करूंगा, हाथ मिलाऊंगा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

        ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइये ! आज के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में अल्लाह पाक से मह़ब्बत करने वालों के वाक़िआ़त और इस से मुतअ़ल्लिक़ मदनी फूल सुनते हैं ।

एक इ़बादत गुज़ार की आ़रिफ़ाना गुफ़्तगू

        दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "ह़िकायतें और नसीह़तें" सफ़ह़ा नम्बर 211 पर है : ह़ज़रते सय्यिदुना ज़ुन्नून मिस्री رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक दफ़्आ़ मैं एक पहाड़ में घूम फिर रहा था, जब मैं एक ऐसी वादी से गुज़रा जिस में बहुत से दरख़्त, पौदे और फल थे, तो मैं अल्लाह पाक की क़ुदरत और उस की बनाई हुई चीज़ों की ख़ूब सूरती के बारे में ग़ौरो फ़िक्र करने लगा । अचानक मुझे एक आवाज़ सुनाई दी जिस ने मेरे आंसूओं को बहा दिया और मेरी इ़श्क़ की आग भड़क उठी । मैं उस आवाज़ के पीछे पहाड़ के निचले ह़िस्से में एक ग़ार के किनारे तक पहुंच गया । वोह कलाम ग़ार के अन्दर से सुनाई दे रहा था । मैं अन्दर गया, तो वहां इ़बादत करने वाले एक शख़्स को पाया, जो निहायत ही कमज़ोर था और उस पर मक़्बूलिय्यत के निशानात ज़ाहिर थे । मैं ने उस को येह कहते हुवे सुना : पाक है वोह ज़ात ! जिस ने आ़शिक़ों के दिलों को अपनी बारगाह में मुनाजात के ज़रीए़ ज़िन्दा किया, अब वोह सिर्फ़ उसी पर भरोसा करते हैं और उस ने उन्हें अपनी मह़ब्बत के लिये चुन लिया, तो अब वोह सिर्फ़ उसी की ख़्वाहिश करते हैं । जब उस ने