Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

Book Name:Allah Pak Say Muhabbat Karnay Walon Kay Waq'eaat

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! ग़ौर कीजिये ! अल्लाह पाक से मह़ब्बत करने वालों का मह़ब्बते इलाही में क्या ह़ाल हुवा करता था कि येह ह़ज़रात अल्लाह पाक और बन्दों के ह़ुक़ूक़ का किस क़दर एह़सास करते हैं, नेकियों से मह़ब्बत और गुनाहों से उन को कैसी नफ़रत होती है, इ़बादते इलाही की कसरत उन्हें कमज़ोर और उन के रंग को तब्दील कर देती है जब कि दूसरी जानिब आज लोगों की भारी अक्सरिय्यत बे अ़मली का शिकार है, न तो बन्दों के ह़ुक़ूक़ की अदाएगी की फ़िक्र है और न ही अल्लाह पाक के ह़ुक़ूक़ का कोई एह़सास, नेकियां करना नफ़्स के लिये बेह़द मुश्किल और गुनाह करना बहुत आसान हो चुका है, मस्जिदों की वीरानी और गुनाहों भरी घूमने, फिरने की आबाद जगहें दीन का दर्द रखने वालों को गोया ख़ून के आंसू रुलाती और तड़पा के रख देती है, टीवी, डिश ऐन्टीना, इन्टरनेट, सोशल मीडिया (Social Media) और केबल का ग़लत़ इस्ति'माल करने वालों की ता'दाद भी कम नहीं, ज़रूरतों को पूरा करने और सहूलिय्यात को पाने की ह़द से ज़ियादा कोशिश ने मुसलमानों की भारी ता'दाद को आख़िरत की फ़िक्र से बिल्कुल ग़ाफ़िल कर दिया है ।

गाली देना, इल्ज़ाम लगाना, बद गुमानी करना, ग़ीबत करना, चुग़ली खाना, लोगों के ऐ़ब जानने में लगे रहना, लोगों के ऐ़ब उछालना, झूट बोलना, झूटे वा'दे करना, किसी का माल नाह़क़ खाना, ख़ून बहाना, किसी को शरई़ इजाज़त के बिग़ैर तक्लीफ़ देना, क़र्ज़ दबा लेना, किसी की चीज़ वक़्ती त़ौर पर ले कर वापस न करना, मुसलमानों को बुरे नामों से पुकारना, किसी की चीज़ उसे बुरा लगने के बा वुजूद इजाज़त के बिग़ैर इस्ति'माल करना, शराब पीना, जुवा खेलना, चोरी करना, बदकारी करना, फ़िल्में ड्रामे देखना, गाने बाजे सुनना, सूद और रिशवत का लेन देन करना, मां-बाप की ना फ़रमानी करना और उन्हें सताना, अमानत में धोका करना, बद निगाही करना, औ़रतों का मर्दों की और मर्दों का औ़रतों की नक़्ल करना, बे पर्दगी, ग़ुरूर, तकब्बुर, ह़सद, दिखलावा करना, अपने दिल में किसी मुसलमान के लिये नफ़रत व दुश्मनी रखना, ग़ुस्सा आ जाने पर शरीअ़त की ह़दें तोड़ डालना, गुनाहों की लालच