Ramazan Ki Baharain

Book Name:Ramazan Ki Baharain

रोज़ा व क़ुरआन शफ़ाअ़त करेंगे

          रह़मते आलमिय्यान, सरवरे ज़ीशान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ फ़रमाते हैं : रोज़ा और क़ुरआन बन्दे के लिये क़ियामत के दिन शफ़ाअ़त करेंगे । रोज़ा अ़र्ज़ करेगा : ऐ रब्बे करीम ! मैं ने खाने और ख़्वाहिशों से दिन में इसे रोक दिया, मेरी शफ़ाअ़त इस के ह़क़ में क़बूल फ़रमा । क़ुरआन कहेगा : मैं ने इसे रात में सोने से बाज़ रखा, मेरी शफ़ाअ़त इस के लिये क़बूल कर । पस दोनों की शफ़ाअ़तें क़बूल होंगी । (مُسند امام احمد ج۲ص۵۸۶حدیث۶۶۳۷)

बख़्शिश का बहाना

        अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते मौलाए काइनात, अ़लिय्युल मुर्तज़ा, शेरे ख़ुदा کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم फ़रमाते हैं : अगर अल्लाह पाक को उम्मते मुह़म्मदिय्या पर अ़ज़ाब करना मक़्सूद होता, तो उन को रमज़ान और सूरए "قُل ْ ھُوَ اللہُ" शरीफ़ हरगिज़ इ़नायत न फ़रमाता । (फै़ज़ाने सुन्नत, स. 874)

8 मदनी कामों में से एक मदनी काम "घर दर्स"

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! अपने अहले ख़ाना को रमज़ानुल मुबारक के रोज़े रखने के साथ साथ दीगर फ़राइज़ की पाबन्दी का ज़ेहन देने, घर के अफ़राद को सुन्नतों का आमिल बनाने, घर में मदनी माह़ोल बनाने का एक बेहतरीन ज़रीआ "घर दर्स" भी है । रमज़ानुल मुबारक की बरकतें पाने, अपने दिलों में फ़र्ज़ रोज़ों की अहम्मिय्यत जगाने के लिये اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ ! घर दर्स में अहले ख़ाना के ईमान के तह़फ़्फ़ुज़ और इस्लाह़े आ'माल के अस्बाब मौजूद हैं । घर दर्स की बरकत से इत्तिह़ाद व इत्तिफ़ाक़ पैदा होगा, इस की बरकत से लड़ाई, झगड़ों और नाचाक़ियों से छुटकारा मिलेगा, घर दर्स की बरकत से दिन ब दिन दीनी मा'लूमात में इज़ाफ़ा होता रहता है । लिहाज़ा अपने घरों में मदनी माह़ोल बनाने के लिये रोज़ाना कम अज़ कम एक बार दर्से फ़ैज़ाने सुन्नत देने या