Book Name:Ramazan Ki Baharain
और (येह आसानियां इस लिये हैं) ताकि तुम (रोज़ों की) ता'दाद पूरी कर लो और ताकि तुम इस बात पर अल्लाह की बड़ाई बयान करो कि उस ने तुम्हें हिदायत दी और ताकि तुम शुक्र गुज़ार बन जाओ ।
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस आयते मुक़द्दसा के अन्दर अल्लाह पाक ने माहे रमज़ान में रोज़े रखने का हु़क्म भी फ़रमाया है । याद रहे ! तौह़ीद व रिसालत का इक़रार करने और तमाम ज़रूरिय्याते दीन पर ईमान लाने के बा'द जिस त़रह़ हर मुसलमान पर नमाज़ फ़र्ज़ क़रार दी गई है, इसी त़रह़ रमज़ान शरीफ़ के रोज़े भी हर मुसलमान (मर्द व औरत) आक़िल व बालिग़ पर फ़र्ज़ हैं । दुर्रे मुख़्तार में है : रोज़े दस शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म, सिने 2 हिजरी को फ़र्ज़ हुवे ।
(دُرِّمُخْتار مع رَدُّالْمُحْتار ج۳ص۳۳۰)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! इस्लाम में अक्सर आ'माल किसी न किसी रूह़ परवर वाक़िए़ की याद ताज़ा करने के लिये मुक़र्रर किये गए हैं । मसलन सफ़ा और मरवह के दरमियान ह़ाजियों की सअ़्य ह़ज़रते सय्यिदतुना हाजिरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا की यादगार है । आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا अपने लख़्ते जिगर ह़ज़रते सय्यिदुना इस्माई़ल عَلَیْہِ السَّلَام के लिये पानी तलाश करने के लिये इन दोनों पहाड़ों के दरमियान सात बार चली और दौड़ी थीं । अल्लाह पाक को ह़ज़रते सय्यिदतुना हाजिरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا की येह अदा पसन्द आ गई, लिहाज़ा इसी सुन्नते हाजिरा को अल्लाह पाक ने बाक़ी रखते हुवे ह़ाजियों और उ़मरह करने वालों के लिये सफ़ा व मरवह की सअ़्य को वाजिब कर दिया । इसी त़रह़ माहे रमज़ानुल मुबारक में से कुछ दिन हमारे प्यारे सरकार, मक्के मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने ग़ारे ह़िरा में गुज़ारे थे, इस दौरान आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ दिन को खाने से परहेज़ करते और रात को ज़िक्रुल्लाह में मश्ग़ूल रहते