Book Name:Ramazan Ki Baharain
जन्नत निशान है : जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की, वोह जन्नत में मेरे साथ होगा ।
(مِشْکاۃُ الْمَصابِیح ،ج۱ ص۵۵ حدیث ۱۷۵ دارالکتب العلمیۃ بیروت )
सीना तेरी सुन्नत का मदीना बने आक़ा
जन्नत में पड़ोसी मुझे तुम अपना बनाना
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
٭ मुसलमान से मुलाक़ात करते वक़्त उसे सलाम करना सुन्नत है । ٭ दिन में कितनी ही बार मुलाक़ात हो, एक कमरे से दूसरे कमरे में बार बार आना जाना हो, वहां मौजूद मुसलमानों को सलाम करना कारे सवाब है । ٭ सलाम में पहल करना सुन्नत है । ٭ सलाम में पहल करने वाला अल्लाह पाक का मुक़र्रब है । ٭ सलाम में पहल करने वाला तकब्बुर से भी बरी है । जैसा कि मेरे मक्की मदनी आक़ा, मीठे मीठे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने बा सफ़ा है : पहले सलाम कहने वाला तकब्बुर से बरी है । (شُعَبُ الایمان ج۶ ص ۴۳۳ ) ٭ सलाम (में पहल) करने वाले पर 90 रह़मतें और जवाब देने वाले पर 10 रह़मतें नाज़िल होती हैं । (कीमियाए सआदत) ٭ اَلسَّلامُ عَلَیْکُمْ कहने से 10 नेकियां मिलती हैं, साथ में وَ رَحمَۃُ اللہ भी कहेंगी, तो 20 नेकियां हो जाएंगी और وَبَرَکاتُہٗ शामिल करेंगी, तो 30 नेकियां हो जाएंगी । ٭ इसी त़रह़ जवाब में وَعَلَیْکُمُ السَّلامُ وَرَحمَۃُ اللہِ وَبَرَکاتُہٗ कह कर 30 नेकियां ह़ासिल की जा सकती हैं । ٭ सलाम का जवाब फ़ौरन और इतनी आवाज़ से देना वाजिब है कि सलाम करने वाला सुन ले । ٭ सलाम और जवाबे सलाम का दुरुस्त तलफ़्फु़ज़ याद फ़रमा लीजिये । पहले मैं कहती हूं, आप सुन कर दोहराइये : اَلسَّلامُ عَلَیْکُمْ । अब पहले मैं जवाब सुनाती हूं फिर आप इस को दोहराइये : وَعَلَیْکُمُ السَّلام ।