Ramazan Ki Baharain

Book Name:Ramazan Ki Baharain

या इलाही ! तू मदीने में कभी रमज़ां दिखा

मुद्दतों से दिल में येह अ़त्त़ार के अरमान है

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                 صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

हर शब साठ हज़ार की बख़्शिश

      ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह इबने मस्ऊ़द رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से रिवायत है कि शहनशाहे ज़ीशान, मक्की मदनी सुल्त़ान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने रह़मत निशान है : रमज़ान शरीफ़ की हर शब आसमानों में सुब्ह़े सादिक़ तक एक मुनादी (या'नी ए'लान करने वाला) येह निदा करता है : ऐ अच्छाई मांगने वाले ! मुकम्मल कर (या'नी अल्लाह तआला की इत़ाअ़त की त़रफ़ आगे बढ़) और ख़ुश हो जा और ऐ शरीर ! शर से बाज़ आ जा और इ़ब्रत ह़ासिल कर । है कोई मग़फ़िरत का त़ालिब ! कि उस की त़लब पूरी की जाए, है कोई तौबा करने वाला ! कि उस की तौबा क़बूल की जाए, है कोई दुआ मांगने वाला ! कि उस की दुआ क़बूल की जाए, है कोई साइल ! कि उस का सुवाल पूरा किया जाए । अल्लाह तआला रमज़ानुल मुबारक की हर शब में इफ़्त़ार के वक़्त साठ हज़ार गुनाहगारों को दोज़ख़ से आज़ाद फ़रमा देता है और ई़द के दिन सारे महीने के बराबर गुनाहगारों की बख़्शिश की जाती है । (اَلدُّرالمَنْثُورج۱ ص۱۴۶)

          मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! माहे रमज़ान की घड़ियां कितनी बा बरकत हैं कि हर लम्ह़ा बन्दों में रह़मत व मग़फ़िरते इलाही तक़्सीम हो रही है । येह वोह माहे मुक़द्दस है जिस के दिन रोज़ों में और रातें तिलावते कलामे पाक में सर्फ़ होती हैं और येह दोनों चीज़ें या'नी रोज़ा और क़ुरआन, रोज़े मह़शर मुसलमान के लिये शफ़ाअ़त का सामान भी फ़राहम करेंगे । चुनान्चे,