Ramazan Ki Baharain

Book Name:Ramazan Ki Baharain

आलीशान है : जो बन्दा रोज़े की ह़ालत में सुब्ह़ करता है, उस के लिये आसमान के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं, उस के आ'ज़ा तस्बीह़ करते हैं और आसमाने दुन्या पर रहने वाले (फ़िरिश्ते) उस के लिये सूरज डूबने तक मग़फ़िरत की दुआ करते रहते हैं । अगर वोह एक या दो रक्अ़तें पढ़ता है, तो येह आसमानों में उस के लिये नूर बन जाती हैं और ह़ूरे ऐ़न (या'नी बड़ी आंखों वाली ह़ूरों) में से उस की बीवियां कहती हैं : ऐ अल्लाह पाक ! तू इस को हमारे पास भेज दे, हम इस के दीदार की बहुत ज़ियादा मुश्ताक़ (या'नी ख़्वाहिश मन्द) हैं और अगर वोह لَآاِلٰہَ اِلَّااللہُ या سُبْحٰنَ اللہِ या اللہُ اَکْبَر पढ़ता है, तो सत्तर ह़ज़ार फ़िरिश्ते उस का सवाब सूरज डूबने तक लिखते  रहते हैं । (شُعَبُ الایمان ج۳ ص۲۹۹حدیث۳۵۹۱ )

        سُبْحَان اَللّٰہ عَزَّ  وَجَلَّ ! रोज़ादार के तो वारे ही नियारे हैं कि उस के लिये आसमान के दरवाज़े खुलें, उस के जिस्म के आ'ज़ा अल्लाह पाक की तस्बीह़ करें, आसमाने दुन्या पर रहने वाले फ़िरिश्ते ग़ुरूबे आफ़्ताब तक उस के लिये दुआए मग़फ़िरत मांगें, नमाज़ पढ़े, तो उस के लिये आसमान में रौशनी हो और बड़ी बड़ी आंखों वाली ह़ूरें जो उस के लिये मुक़र्रर हुई हैं, वोह जन्नत में उस की आमद का इन्तिज़ार करें, لَآاِلٰہَ اِلَّااللہُ या سُبْحٰنَ اللہِ या اللہُ اَکْبَر कहे, तो सत्तर हज़ार फ़िरिश्ते ग़ुरूबे आफ़्ताब तक उस का सवाब लिखें । (फै़ज़ाने सुन्नत, स. 956)

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! दुन्या में तो रोज़ादारों पर रह़मते इलाही की छमाछम बारिशें होंगी ही, आख़िरत में भी उन को अ़ज़ीमुश्शान मक़ामो मर्तबा ह़ासिल होगा । चुनान्चे,

सोने का दस्तरख़ान

        ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से मरवी है, मालिके जन्नत, साक़िये कौसर, मह़बूबे रब्बे दावर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का