Ramazan Ki Baharain

Book Name:Ramazan Ki Baharain

अ़त़िय्यात (या'नी चन्दे) से तआवुन फ़रमाइये और सवाबे जारिया की ह़क़दार बनिये । निय्यत फ़रमा लीजिये कि अपने तमाम तर सदक़ाते वाजिबा व नाफ़िला (ज़कात, सदक़ा, ख़ैरात वग़ैरा) आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी को देंगी, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ । अल्लाह तआला अ़मल की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार

सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में पढ़े जाने वाले

6 दुरूदे पाक और 2 दुआएं

{1} शबे जुमुआ का दुरूद :

اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِکْ عَلٰی سَیِّدِنَامُحَمَّدِنِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الْحَبِیْبِ الْعَالِی الْقَدْرِالْعَظِیْمِ

وَعَلٰی  اٰلِہٖ وَصَحْبِہٖ وَسَلِّمْ   الْجَاہِ

        बुज़ुर्गों ने फ़रमाया कि जो शख़्स हर शबे जुमुआ (जुमुआ और जुमा'रात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम अज़ कम एक मरतबा पढे़गा, तो मौत के वक़्त सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ियारत करेगा और क़ब्र में दाख़िल होते वक़्त भी यहां तक कि वोह देखेगा कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उसे क़ब्र में अपने रह़मत भरे हाथों से उतार रहे हैं । (اَفْضَلُ الصَّلَوات عَلٰی سَیِّدِ السّادات ص١٥١ملخصًا)                  

{2} तमाम गुनाह मुआफ़ :

اَللّٰہُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِ نَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدٍ وَّعَلٰی اٰلِہٖ وَسَلِّمْ

        ह़ज़रते सय्यिदुना अनस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से रिवायत है कि ताजदारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जो शख़्स येह दुरूदे पाक पढ़े, अगर खड़ा था, तो बैठने से पहले और बैठा था, तो खड़े होने से पहले उस के गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे (اَیضاً ص ٦٥)