Esal-e-Sawab Ki Barakaten

Book Name:Esal-e-Sawab Ki Barakaten

फै़शन का शौक़ीन, सुन्नतों का शैदाई कैसे बना ?

          मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के रिहाइशी एक इस्लामी भाई सुन्नतों से दूर फै़शन के नशे में गुम थे, नए फै़शन वाले लिबास पहनना, फ़ुज़ूलिय्यात में अपने क़ीमती लम्ह़ात ज़ाएअ़ करना उन का मा'मूल था, ज़िक्रे इलाही से बिल्कुल ग़ाफ़िल हो चुके थे । नेकियों भरी ज़िन्दगी गुज़ारने का ज़ेहन कुछ यूं बना कि एक बार उन्हें "मदनी मुज़ाकरा" सुनने की सआ़दत मिल गई, इस की बरकत से उन की ज़िन्दगी का रुख़ ही बदल गया । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के आसान अन्दाज़ में बयान की जाने वाली ढेरों ढेर मा'लूमात का अनमोल ख़ज़ाना लूटने का सुनेहरी मौक़अ़ मिला, ख़ौफे़ ख़ुदा और इ़श्के़ मुस्त़फ़ा की किरनों से उन का दिल रौशन हो गया, पिछली ज़िन्दगी पर शर्मिन्दगी होने लगी, लिहाज़ा उन्हों ने बक़िय्या ज़िन्दगी को ग़नीमत जानते हुवे फै़शन (Fashion) की नुह़ूसत से जान छुड़ाई, सुन्नतों पर अ़मल करने और नमाज़ों की पाबन्दी का पुख़्ता इरादा कर लिया, सर पर इ़मामा शरीफ़ सजा लिया, दाढ़ी शरीफ़ से चेहरा पुरनूर कर लिया और नेकियों पर इस्तिक़ामत पाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो गए जब कि नेकी की दा'वत की धूमें मचाने के लिये हर माह 3 दिन के मदनी क़ाफ़िले में सफ़र करना इन का मा'मूल बन गया ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

मजलिसे मदनी मुज़ाकरा

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आप ने सुना कि मदनी मुज़ाकरा सुनने से कैसी कैसी बरकतें मिलती हैं ! लिहाज़ा सुस्ती भगाइये और अपने काम काज से वक़्त निकाल कर पाबन्दी के साथ हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा देखने / सुनने की आ़दत बनाइये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी दुन्या भर में ख़िदमते दीन के कमो बेश 107 शो'बाजात में सुन्नतों की धूमें मचा रही है, जिन में से एक शो'बा "मजलिसे मदनी मुज़ाकरा" भी है ।