Esal-e-Sawab Ki Barakaten

Book Name:Esal-e-Sawab Ki Barakaten

बच्चों को भी नेकियों की तरग़ीब दिलाएं और उन्हें भी नेक नमाज़ी बनाएं क्यूंकि औलाद को नेक बनाने, उन्हें इ़ल्मे दीन के ज़ेवर से आरास्ता करने और उन की शरीअ़त के मुत़ाबिक़ मदनी तरबिय्यत करने से वालिदैन को जहां बहुत से दीनी व दुन्यवी फ़ाइदे ह़ासिल होते हैं, वहीं एक फ़ाइदा येह भी मिलता है कि जब वालिदैन इस दुन्या से चले जाते हैं, तो येही नेक औलाद उन के एह़सानात को नहीं भूलती बल्कि अपनी मसरूफ़िय्यात के बा वुजूद उन को सवाब पहुंचाने के लिये तिलावते क़ुरआन करना, ग़रीबों और मिस्कीनों को खाना खिलाना, मस्जिद व मद्रसा बनवाना और मग़फ़िरत की दुआ़ करना सआ़दत समझती है, जो क़ब्र में उन के वालिदैन के सुकून का सबब होता है । चुनान्चे,

रोज़ाना एक क़ुरआने पाक का सवाब

          मन्क़ूल है : एक मरतबा किसी शख़्स ने ख़्वाब में देखा कि क़ब्रिस्तान के तमाम मुर्दे अपनी अपनी क़ब्रों से बाहर निकल कर जल्दी जल्दी ज़मीन पर से कोई चीज़ समेट रहे हैं लेकिन उन मुर्दों में से एक शख़्स फ़ारिग़ बैठा हुवा है, वोह कुछ नहीं चुनता । उस शख़्स ने उस मुर्दे से पूछा : येह लोग क्या चुन रहे हैं ? उस ने जवाब दिया : ज़िन्दा लोग जो सदक़ा, दुआ़, तिलावते क़ुरआन का सवाब क़ब्रिस्तान वालों को भेजते हैं, येह लोग उस की बरकात समेट रहे हैं । उस शख़्स ने फिर पूछा : तुम क्यू नहीं चुनते ? उस मुर्दे ने जवाब दिया : मैं इस लिये नहीं चुन रहा कि मेरा एक बेटा क़ुरआने करीम का ह़ाफ़िज़ है जो फ़ुलां बाज़ार में ह़ल्वा बेचता है, वोह रोज़ाना एक क़ुरआने पाक पढ़ कर मुझे उस का सवाब पहुंचाता है । येह शख़्स सुब्ह़ उठा और उसी बाज़ार में गया, देखा कि एक नौजवान ह़ल्वा बेच रहा है और उस के होंट हिल रहे हैं । उस ने नौजवान से पूछा : तुम क्या पढ़ रहे हो ? उस ने जवाब दिया : मैं रोज़ाना एक क़ुरआने पाक पढ़ कर अपने वालिदैन को इस का सवाब पहुंचाता हूं, उसी की तिलावत कर रहा हूं । कुछ अ़र्से बा'द उस ने ख़्वाब में दोबारा उसी क़ब्रिस्तान के मुर्दों को कुछ चुनते हुवे देखा, इस मरतबा वोह शख़्स भी चुनने में मसरूफ़ था कि जिस का बेटा उसे क़ुरआने पाक पढ़ कर उस का सवाब पहुंचाता था । उस को देख