Esal-e-Sawab Ki Barakaten

Book Name:Esal-e-Sawab Ki Barakaten

कर उसे बहुत तअ़ज्जुब हुवा, इतने में उस की आंख खुल गई । सुब्ह़ उठ कर उसी बाज़ार में गया और तह़क़ीक़ की, तो मा'लूम हुवा कि ह़ल्वा बेचने वाले नौजवान का भी इन्तिक़ाल हो चुका है ।

(روض الریاحین،الفصل الثانی فی اثبات…الخ،الحکایۃ السابعۃ والخمسون…الخ، ص۱۷۷)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि नेक औलाद वालिदैन को किस क़दर फ़ाइदे देती है ! जो मुआ़शी मुआ़मलात में मश्ग़ूलिय्यत के बा वुजूद भी क़ुरआने करीम की तिलावत कर के वालिदैन को सवाब पहुंचाना नहीं भूलती । आज कल अक्सर लोग अपनी औलाद के बारे में येह शिक्वा करते नज़र आते हैं कि हम ने अपना सुकून गंवा कर, पानी की त़रह़ पैसा बहा कर इन्हें पढ़ना, लिखना सिखाया मगर हमारी औलाद है कि हमें सलाम करना तो दूर की बात, सीधे मुंह बात तक नहीं करती, हमारे जीते जी येह ह़ाल है, तो मरने के बा'द कौन हमें सवाब पहुंचाएगा ?

          याद रखिये ! औलाद को इस ह़ाल तक पहुंचाने में उ़मूमन वालिदैन का अपना क़ुसूर होता है, अगर वालिदैन दुन्यवी ता'लीम दिलाने और काम काज सिखाने के साथ साथ अपनी औलाद को क़ुरआन को याद करने वाला, आ़लिमे दीन और सुन्नतों का पाबन्द बनाएंगे, तो इस के बेहतरीन नताइज न सिर्फ़ दुन्या में बल्कि मरने के बा'द भी नज़र आएंगे । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम

"हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा"

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइये ! अपने आप को और अपनी औलाद को नेक और सुन्नतों का पाबन्द और उन्हें अपने लिये सदक़ए जारिया का सबब बनाने का त़रीक़ा जानने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइये और अपने अ़लाके़ में ज़ैली ह़ल्के़ के 12