Book Name:Esal-e-Sawab Ki Barakaten
है । चुनान्चे, पारह 28, सूरए ह़श्र, आयत नम्बर 10 में अल्लाह पाक इरशाद फ़रमाता है :
وَ الَّذِیْنَ جَآءُوْ مِنْۢ بَعْدِهِمْ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَ لِاِخْوَانِنَا الَّذِیْنَ سَبَقُوْنَا بِالْاِیْمَانِ
(پ۲۸،الحشر:۱۰)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और उन के बा'द आने वाले अ़र्ज़ करते हैं : ऐ हमारे रब ! हमें और हमारे उन भाइयों को बख़्श दे जो हम से पहले ईमान लाए ।
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : यहां से दो मस्अले मा'लूम हुवे । (1) सिर्फ़ अपने लिये दुआ़ न करे, बुज़ुर्गों के लिये भी करे । (2) बुज़ुर्गाने दीन (رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن) ख़ुसूसन सह़ाबए किराम व अहले बैत (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُمْ اَجْمَعِیْن) के उ़र्स, ख़त्म, नियाज़, फ़ातिह़ा वग़ैरा येह आ'ला (बेहतरीन) चीज़ें हैं कि इन में उन बुज़ुर्गों के लिये दुआ़ है ।
(तफ़्सीरे नूरुल इ़रफ़ान, 28 / 873)
ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! आइये ! आज के इस हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में हम ईसाले सवाब या'नी सवाब पहुंचाने के तअ़ल्लुक़ से ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त व ह़िकायात और दीगर मा'लूमाती मदनी फूल सुनते हैं । चुनान्चे,
मश्हूर सूफ़ी बुज़ुर्ग, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ज़रते सय्यिदुना ह़सन बसरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की ख़िदमते अक़्दस में ह़ाज़िर हो कर एक औ़रत ने अ़र्ज़ की : मेरी जवान बेटी फ़ौत हो गई है, कोई ऐसा त़रीक़ा इरशाद फ़रमा दीजिये कि मैं उसे ख़्वाब में देख लूं । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने उसे अ़मल बताया । उस ने अपनी मर्ह़ूमा बेटी को ख़्वाब (Dream) में इस ह़ाल में देखा कि उस के बदन पर डामर (Asphalt) का लिबास, गरदन में ज़न्जीर और पाउं में ज़न्जीरें हैं । उस ने ह़ज़रते सय्यिदुना ह़सन बसरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को ख़्वाब सुनाया, सुन कर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बहुत ग़मगीन हुवे । कुछ अ़र्से बा'द ह़ज़रते सय्यिदुना ह़सन बसरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने ख़्वाब में एक लड़की को देखा