Book Name:Esal-e-Sawab Ki Barakaten
जो जन्नत में थी और उस के सर पर ताज (Crown) था । उस ने कहा : ऐ ह़सन ! क्या आप ने मुझे नहीं पहचाना ? मैं उसी ख़ातून की बेटी हूं जिस ने आप को मेरी ह़ालत बताई थी । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने फ़रमाया : किस वज्ह से तेरी ह़ालत बदली जिसे मैं देख रहा हूं ? मर्ह़ूमा बोली : क़ब्रिस्तान के क़रीब से एक शख़्स गुज़रा और नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर दुरूद भेजा, उस के दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से अल्लाह करीम ने हम साढ़े पांच सौ क़ब्र वालों से अ़ज़ाब उठा लिया । (مکاشفۃ القلوب، الباب السابع، ص ۲۴، ملخصاً)
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत के तअ़ल्लुक़ से अभी जो ह़िकायत हम ने सुनी, उस से सवाब पहुंचाने की अहम्मिय्यत वाज़ेह़ हो जाती है कि एक लड़की इन्तिहाई दर्दनाक ह़ालत में अ़ज़ाब का शिकार थी मगर जब अल्लाह करीम के एक बन्दे ने गुज़रते हुवे प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर दुरूदे पाक पढ़ा और उस का सवाब क़ब्रिस्तान वालों को पहुंचाया, तो न सिर्फ़ उस लड़की को अ़ज़ाब से नजात मिल गई बल्कि मज़ीद सैंक्ड़ों मुर्दों को अ़ज़ाब से रिहाई नसीब हुई । ज़रा सोचिये ! रब्बे करीम किस क़दर मेहरबान है कि उस ने सिर्फ़ एक बार दुरूद शरीफ़ की बरकत से सैंक्ड़ों मुर्दों पर से अ़ज़ाब दूर फ़रमा दिया, तो जो मुसलमान कसरत से दुरूदे पाक पढ़ने और नेकियों का सवाब फ़ौत शुदा मुसलमानों को भेजने का आ़दी होगा, तो अल्लाह पाक सवाब पहुंचाने वाले और जिन को सवाब पहुंचाया गया उन सब पर इनआ़मो इकराम की कैसी बारिशें बरसाएगा ! लिहाज़ा हमें भी चाहिये कि सवाब पहुंचाने के मुआ़मले में सुस्ती करने के बजाए वक़्तन फ़-वक़्तन दुरूदे पाक और नेकियों से ह़ासिल होने वाला सवाब पहुंचाते रहें, उन के लिये दुआ़ए मग़फ़िरत करते रहें क्यूंकि येह एक ऐसा जाइज़ और बेहतरीन अ़मल है जिस की बरकत से फ़ौत शुदा मुसलमानों के साथ साथ ज़िन्दों को भी फ़ाइदा होता है । जैसा कि :
साह़िबे बहारे शरीअ़त, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ईसाले सवाब या'नी क़ुरआने मजीद या दुरूद शरीफ़ या कलिमए त़य्यिबा या किसी नेक अ़मल का सवाब