Esal-e-Sawab Ki Barakaten

Book Name:Esal-e-Sawab Ki Barakaten

या दोस्त फ़ौत हो जाता है, तो तह़ाइफ़ का येह सिलसिला भी रुक जाता है लेकिन अगर हम चाहें, तो सवाब पहुंचाने की सूरत में इस से बेहतर तोह़्फे़ भेज कर उस की ख़ुशी का सामान कर सकते हैं । जी हां ! हमारा सवाब पहुंचाना फ़ौत शुदा मुसलमानों के लिये तोह़्फे़ बन जाते हैं जिन्हें पा कर उन्हें बेह़द ख़ुशी मह़सूस होती है । जैसा कि :

मुर्दों के लिये ज़िन्दों का तोह़्फ़ा

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا बयान करते हैं : नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : मय्यित क़ब्र में डूबते हुवे फ़रयादी की त़रह़ ही होती है जो मां-बाप, भाई या दोस्त की दुआ़ए ख़ैर पहुंचने के इन्तिज़ार में रहती है फिर दुआ़ उसे पहुंच जाती है, तो उसे येह दुआ़ दुन्या और इस की तमाम ने'मतों से ज़ियादा प्यारी होती है । अल्लाह पाक ज़मीन वालों की दुआ़ से क़ब्र वालों को पहाड़ों के जैसा सवाब देता है और यक़ीनन ज़िन्दा का मुर्दों के लिये तोह़्फ़ा, उन के लिये "दुआ़ए मग़फ़िरत" है ।

(شعب الایمان، الرابع والستون من شعب الایمان۔۔۔ الخ، فصل فی زیارۃ القبور، ۷/۱۶،حدیث: ۹۲۹۵)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ह़दीसे पाक के इस जुम्ले "मय्यित क़ब्र में डूबते हुवे फ़रयादी की त़रह़ होती है" की शर्ह़ में फ़रमाते हैं : आ़म गुनहगार मुसलमान तो अपने गुनाहों की वज्ह से, ख़ास नेक मुसलमान इसी पशेमानी (या'नी शर्मिन्दगी) की वज्ह से कि हम ने और ज़ियादा नेकियां क्यूं न कर लीं, मख़्सूस मह़बूबीन (अल्लाह पाक के ख़ास पसन्दीदा बन्दे) अपने छूटे हुवे प्यारों की वज्ह से ऐसे होते हैं, ताज़ा मय्यित बरज़ख़ (या'नी मरने के बा'द से ले कर क़ियामत में उठने तक के वक़्फ़े) में ऐसी होती है जैसे नई दुल्हन सुसराल में कि अगर्चे वहां उसे हर त़रह़ का ऐ़शो आराम होता है मगर उस का दिल मैके में पड़ा रहता है, जब कोई सौग़ात या कोई आदमी मैके से पहुंचता है, तो उस की ख़ुशी की ह़द नहीं रहती फिर दिल लगते लगते लग जाता है । ज़ाहिर येह है कि यहां मय्यित से ताज़ा मय्यित मुराद है कि उसे ज़िन्दों के तोह़्फे़ का बहुत इन्तिज़ार रहता है, इसी लिये नई मय्यित को