Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat

Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat

पाक की बन्दियों की इस्लाह़ के सिलसिले हों और गुनाह का ज़ोर ख़त्म हो जाए ।

          येह अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के इख़्लास ही की बरकत है कि आप की ज़बाने मुबारक से निकलने वाले अल्फ़ाज़ के मुबारक असरात दिल में उतरते चले जाते हैं, जिस के नतीजे में पिछले गुनाहों पर शर्मिन्दगी मह़सूस होती और तौबा की तौफ़ीक़ मिलती है, नमाज़ की अदाएगी पर इस्तिक़ामत नसीब होती है, दिल में नेकियों का शौक़ बेदार होता है । आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के आग़ाज़ से पहले और बा'द में भी आप पर कई आज़माइशें आईं मगर आप ने हिम्मत न हारी बल्कि सब्रो इस्तिक़ामत के साथ अब भी डटे हुवे हैं और तब्लीग़े दीन का अहम काम बहुत अच्छे अन्दाज़ से सर अन्जाम दे रहे हैं । आइये ! अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की दीनी ख़िदमात का मुख़्तसर तआ़रुफ़ सुनती हैं । चुनान्चे,

अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की दीनी ख़िदमात

      शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के मिसाली और तारीख़ी काम का मुंह बोलता सुबूत येह है कि जिन शो'बों में मदनी काम करने की ज़रूरत मह़सूस फ़रमाई, आप उन शो'बों को क़ाइम करने में मसरूफ़ हो गए और आज اَلْحَمْدُ لِلّٰہ कमो बेश 105 शो'बाजात में मदनी काम जारी है । मसलन मदनी मुन्नों और मुन्नियों को नूरे क़ुरआन से आरास्ता करने के लिये "मद्रसतुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात)" उन्हें दीनी ता'लीमो तरबिय्यत के साथ साथ दुन्यवी ता'लीम देने के लिये "दारुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात)" बालिग़ात इस्लामी बहनों के लिये "मद्रसतुल मदीना बालिग़ात" शरई़ रहनुमाई के लिये "दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत" और आ़लिमात तय्यार करने के लिये "जामिअ़तुल मदीना (लिल बनात)" पैग़ामे आ'ला ह़ज़रत को आ़म करने और इस्लाह़ी कुतुब की फ़राहमी के लिये