Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat
"मदनी फूलों" के मुत़ाबिक़ कीजिये । इस्लामी बहनों को माईक, मेगाफ़ोन, सीडी प्लेयर और ईको साउन्ड वग़ैरा इस्ति'माल करने की इजाज़त नहीं ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस मदनी काम के बे शुमार दुन्यवी व उख़रवी फ़वाइद हैं : ٭ हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ की बरकत से इस्लामी बहनों से मुलाक़ात व सलाम की सुन्नत आ़म होती है । ٭ हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ की बरकत से इ़ल्मे दीन से माला माल क़ीमती मदनी फूल उम्मते मुस्लिमा तक पहुंचाए जाते हैं । ٭ हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ की बरकत से दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल की तश्हीर व नेक नामी होती है । ٭ हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में मांगी जाने वाली दुआ़एं क़बूल होती हैं । इस के इ़लावा सह़ाबए किराम और औलियाए किराम की सीरते मुबारका पर भी बयानात होते हैं ।
आइये ! बत़ौरे तरग़ीब हफ़्तावार इजतिमाअ़ में ह़ाज़िरी की एक मदनी बहार सुनिये और इजतिमाअ़ में पाबन्दी के साथ ह़ाज़िर होने की निय्यत कीजिये । चुनान्चे,
बाबुल मदीना की एक इस्लामी बहन को कुछ इस्लामी बहनें नेकी की दा'वत देने के लिये उन के घर जाया करती थीं, उन्हें इस्लामी बहनों के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ और मदनी दौरे में शिर्कत की दा'वत पेश की जाती मगर वोह सुस्ती के बाइ़स इस सआ़दत से मह़रूम रहतीं । एक दिन अचानक उन के बेटे की त़बीअ़त ख़राब हो गई, डॉक्टर को दिखाया, तो उस ने अन्देशा ज़ाहिर किया कि शायद अब येह बच्चा उ़म्र भर टांगों के सहारे चल न सके नीज़ इस का दिमाग़ी तवाज़ुन भी ठीक नहीं रहा । येह सुन कर वोह इस्लामी बहन बहुत ग़मगीन हुईं । एक दिन फिर वोही इस्लामी बहनें नेकी की दा'वत के लिये आईं । उन्हों ने नई इस्लामी बहन के चेहरे पर परेशानी के आसार देखे, तो ग़म ख़्वारी करते हुवे पूछा : ख़ैरिय्यत तो है ! आप परेशान दिखाई दे रही हैं ? उन्हों ने सारा माजरा कह सुनाया, तो इस्लामी बहनों ने उन्हें बहुत ह़ौसला दिया और कहा कि आप दा'वते इस्लामी के 12 हफ़्तावार