Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि ह़ज़रते सय्यिदुना ह़सन बसरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का नेकी की दा'वत देने का अन्दाज़ भी कितना शानदार था ! आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ किस क़दर बेहतरीन अन्दाज़ में मख़्लूके़ ख़ुदा की इस्लाह़ का काम सर अन्जाम दिया करते थे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने अपनी निगाहे विलायत से एक गुनाहगार शख़्स के दिल को चमका दिया, अल्लाह पाक ने उसे भी न सिर्फ़ येह कि अपना वली बना लिया बल्कि वफ़ात से पहले आ़लीशान इनआ़मो इकराम से भी नवाज़ा । बयान कर्दा वाक़िए़ में बिल ख़ुसूस उन मुबल्लिग़ात के लिये मदनी फूल मौजूद हैं, जो येह कहती हैं कि हम ने बयान तो किया मगर सुनने वालियों पर असर नहीं हुवा, यहां की इस्लामी बहनें बहुत सख़्त दिल हैं, इन के दिल पर बात असर नहीं करती है वग़ैरा । याद रखिये ! इस क़िस्म की बात वोही कर सकती है जो ख़ुद को इस्लाह़ के क़ाबिल तसव्वुर न करती हो ।
शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ फ़रमाते हैं : "लोगों पर दर्सो बयान का असर न हो, तो उन को सख़्त दिल समझने या कहने की बजाए अपने इख़्लास की कमी तसव्वुर कर के इस्तिग़फ़ार करें ।" हमारा काम फ़क़त़ दूसरी इस्लामी बहनों तक अच्छे अन्दाज़ में इनफ़िरादी कोशिश कर के नेकी की दा'वत पहुंचा देना है, उन को अ़मल की तौफ़ीक़ देने वाली ज़ात तो रब्बे काइनात की है । लिहाज़ा अपनी कोशिश का कोई नतीजा न निकलने पर हरगिज़ दिल छोटा न करें बल्कि इसे अपने इख़्लास की कमी तसव्वुर करते हुवे रिज़ाए इलाही के लिये इनफ़िरादी कोशिश का सिलसिला जारी रखिये और अल्लाह पाक से दुआ़ करती रहिये । इस के साथ साथ ग़ौर कीजिये कि मायूसी का शिकार हो कर कहीं हम शैत़ान के वार को कामयाब तो नहीं बना रहीं ? लिहाज़ा ख़ुद को संभालिये और मायूसी से दामन छुड़ा कर इनफ़िरादी कोशिश का सिलसिला फिर से शुरूअ़ कर दीजिये । ऐ काश ! हम सब का ऐसा ही मदनी ज़ेहन बन जाए और हम इ़श्के़ रसूल में डूब कर ख़ौफे़ ख़ुदा से लरज़ते हुवे ऐसा बयान करने वाली बन जाएं कि अल्लाह