Book Name:Allah Walon Kay Ikhtiyarat
(अल्लाह के सफ़ीर, स. 298, मुलख़्ख़सन)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इस ह़िकायत से मा'लूम हुवा ! अल्लाह पाक के नेक बन्दे परेशान ह़ालों, तंगदस्तों और मोह़ताजों की मदद फ़रमा कर उन की ह़ाजत रवाई फ़रमाते हैं, अगर किसी ह़ाजत मन्द को देने के लिये कुछ मौजूद न होता, तब भी येह ह़ज़रात उस को ख़ाली हाथ नहीं लौटाते और अपने इख़्तियारात को इस्ति'माल करते हुवे मिट्टी को सोना बना कर उस की मुराद पूरी कर देते हैं । येह भी मा'लूम हुवा कि अल्लाह वालों की ज़बानों में एक अलग ही तासीर होती है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अल्लाह पाक की इजाज़त के बिग़ैर कोई एक ज़र्रा भी नहीं दे सकता, अल्लाह पाक के मह़बूब बन्दे, अल्लाह पाक के दिये हुवे इख़्तियारात से मोह़ताजों की ह़ाजत पूरी फ़रमाते हैं, मुसीबत ज़दों की मदद फ़रमाते हैं, बीमारों को शिफ़ा देते हैं, येही नहीं बल्कि औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن तो अल्लाह पाक की दी हुई त़ाक़त से मुर्दों को भी ज़िन्दा फ़रमा देते हैं । जैसा कि :
एक मरतबा ह़ज़रत सय्यिदी अह़मद जाम ज़िन्दा पील رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ कहीं तशरीफ़ ले जा रहे थे कि रास्ते में एक मक़ाम पर लोगों का रश नज़र आया, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ उन के पास तशरीफ़ ले गए । फ़रमाया : क्या हुवा है ? लोगों ने अ़र्ज़ की : हाथी मर गया है । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने इरशाद फ़रमाया : इस की सूंड वैसी ही है, आंखें भी वैसी हैं, हाथ भी वैसे ही हैं, पाउं भी वैसे ही हैं, ग़रज़ ! सब चीज़ों को फ़रमाया कि वैसे ही हैं फिर मर कैसे गया ? आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का येह फ़रमाना था कि फ़ौरन वोह हाथी ज़िन्दा हो गया । उस दिन से आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का लक़ब "ज़िन्दा पील" (या'नी हाथी ज़िन्दा करने वाला) हो गया । (मल्फ़ूज़ाते आ'ला ह़ज़रत, स. 449, मुलख़्ख़सन)
क्या कोई बन्दा, मुर्दा को ज़िन्दा कर सकता है ?
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बेशक मौत व ज़िन्दगी अल्लाह पाक के इख़्तियार में है लेकिन अल्लाह पाक अपने किसी बन्दे को मुर्दे ज़िन्दा करने की त़ाक़त बख़्शे, तो उस के लिये कोई मुश्किल नहीं और अल्लाह पाक की अ़त़ा से किसी और को हम मुर्दा ज़िन्दा करने वाला तस्लीम कर लें, तो इस से हमारे ईमान पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता । बहर ह़ाल अगर कोई येह अ़क़ीदा रखे कि अल्लाह पाक ने किसी नबी या वली को मरज़ से शिफ़ा देने और मुर्दे को ज़िन्दा करने का इख़्तियार दिया ही नहीं है, तो ऐसा अ़क़ीदा रखना क़ुरआने पाक की आयते मुबारका के बिल्कुल ख़िलाफ़ है । चुनान्चे,
पारह 3, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 49 में ह़ज़रते सय्यिदुना ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام का क़ौल वाज़ेह़ त़ौर पर नक़्ल किया गया है :