Allah Walon Kay Ikhtiyarat

Book Name:Allah Walon Kay Ikhtiyarat

बयान सुनने की निय्यतें

        ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम की ख़ात़िर जब तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ،  वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा । ٭ बयान के बा'द इस्लामी भाइयों से ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम करूंगा, हाथ मिलाऊंगा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن, अल्लाह पाक के वोह ख़ास बन्दे हैं जिन्हों ने अपनी ज़िन्दगियों में अल्लाह पाक के बताए हुवे अह़कामात पर अ़मल कर के अपने रब्बे करीम की बारगाह में आ'ला मक़ाम ह़ासिल किया, इस अ़मल के इनआ़म में अल्लाह पाक ने अपने उन औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن को अपनी अ़त़ा और करम से बे शुमार इख़्तियारात से नवाज़ कर बुलन्द शान व फ़ज़ीलत अ़त़ा फ़रमाई । आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के इस हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में हम इसी से मुतअ़ल्लिक़ मदनी फूल सुनेंगे कि अल्लाह पाक ने अपने औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن को किन किन इख़्तियारात से नवाज़ा है । आइये ! सब से पहले बाबा फ़रीदुद्दीन मस्ऊ़द गंजे शकर رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की एक करामत सुनते हैं । चुनान्चे,

मिट्टी सोना बन गई

          एक मरतबा एक ख़ातून ने बाबा फ़रीदुद्दीन मस्ऊ़द गंजे शकर رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की बारगाह में ह़ाज़िर हो कर अ़र्ज़ की : या ह़ज़रत ! मेरी तीन जवान बेटियां हैं जिन की शादी करनी है, आप मदद फ़रमाइये । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने अपने ख़ादिमीन से फ़रमाया : जो कुछ भी दरगाह पर मौजूद है, वोह ख़ातून को दे दो । ख़ुद्दाम ने अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! आज कुछ भी बाक़ी नहीं बचा । येह सुन कर ख़ातून रोने लगी कि मैं बहुत मजबूर हूं और उम्मीद ले कर आई हूं । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने फ़रमाया : जाओ ! बाहर से मिट्टी का एक ढेला उठा लाओ । वोह मिट्टी का ढेला उठा लाई । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने बुलन्द आवाज़ से सूरए इख़्लास पढ़ कर उस पर दम किया, तो वोह मिट्टी का ढेला सोना बन गया । येह देख कर सब बहुत ह़ैरान हुवे, ख़ातून सोना घर ले गई और घर जा कर उस ने भी पाक साफ़ हो कर सूरए इख़्लास पढ़ कर मिट्टी के ढेले पर दम किया मगर वोह सोना न बन सका । आख़िरे कार 3 दिन तक येही अ़मल करती रही मगर कोई नतीजा ज़ाहिर न हुवा । मजबूर हो कर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की बारगाह में ह़ाज़िर हुई और कहने लगी : ह़ुज़ूर ! मैं ने भी सूरए इख़्लास पढ़ी लेकिन मिट्टी सोना नहीं बनी । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने फ़रमाया : तू ने अ़मल तो वोही कुछ किया जो मैं ने किया था मगर तेरे मुंह में फ़रीद जैसी ज़बान न थी ।