Book Name:Allah Walon Kay Ikhtiyarat
शराइत़, औसाफ़ और दीगर मा'लूमात जानने के लिये दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "आदाबे मुर्शिदे कामिल" का मुत़ालआ़ कीजिये, اِنْ شَآءَ اللّٰہ मुफ़ीद मा'लूमात के साथ साथ मुर्शिदे कामिल से बैअ़त होने का ज़ेहन बनेगा, अगर बैअ़त हो चुके हों, तो येह मा'लूमात भी ह़ासिल होंगी कि एक मुरीद पर पीर के क्या क्या ह़ुक़ूक़ होते हैं ? अगर आप अभी तक किसी पीर साह़िब से मुरीद नहीं हुवे, तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं, اَلْحَمْدُ لِلّٰہ फ़ी ज़माना मुर्शिदे कामिल की एक मिसाल शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ भी हैं । आप इन से मुरीद हो सकते हैं, जिन के तक़्वा व परहेज़गारी की बरकात आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल की सूरत में हमारे सामने वाज़ेह़ त़ौर पर मौजूद हैं । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की निगाहे विलायत और ह़िक्मतों भरी मदनी तरबिय्यत ने दुन्या भर में लाखों मुसलमानों बिल ख़ुसूस नौजवानों की ज़िन्दगियों में मदनी इन्कि़लाब बरपा कर दिया, कितने ही बे नमाज़ी आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की निगाहे फै़ज़ से नमाज़ी बन गए, मां-बाप से बुरा रवय्या इख़्तियार करने वाले बा अदब बन गए, गाने बाजे सुनने वाले, इ़श्के़ रसूल में डूब कर ना'तें सुनने वाले बन गए, मदनी मुज़ाकरे और सुन्नतों भरे बयानात सुनने वाले बन गए, फ़िल्मी गीत गुनगुनाने वाले, ना'ते मुस्त़फ़ा पढ़ने वाले बन गए, माल की मह़ब्बत में जीने मरने वालों को फ़िक्रे आख़िरत की मदनी सोच नसीब हो गई, तफ़रीह़ी मक़ामात पर जा कर अपना वक़्त बरबाद करने वाले सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त में अव्वल ता आख़िर शिर्कत करने वाले बन गए । लिहाज़ा आप भी शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ का फै़ज़ पाने, अपनी ज़िन्दगी के मक़्सद को कामयाब बनाने के लिये दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रह कर ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में अ़मली त़ौर पर शामिल हो कर नेकियों का ज़ख़ीरा जम्अ़ करते हुवे राहे आख़िरत के लिये सामाने आख़िरत जम्अ़ कीजिये ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "सदाए मदीना"
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "सदाए मदीना" लगाना भी है । दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में मुसलमानों को नमाज़े फ़ज्र के लिये जगाने को "सदाए मदीना" लगाना कहते हैं । ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! सदाए मदीना की बरकत से नमाज़े तहज्जुद की सआ़दत मिल सकती है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से नमाज़ की ह़िफ़ाज़त होती है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से मस्जिद की पहली सफ़ में तक्बीरे ऊला के साथ नमाज़े फ़ज्र की अदाएगी हो सकती है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से नेकी की दा'वते देने का सवाब भी कमाया जा सकता है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से