Allah Walon Kay Ikhtiyarat

Book Name:Allah Walon Kay Ikhtiyarat

। अल्लाह पाक की दी हुई इस ने'मत का शुक्र अदा करने के लिये सब से पहले इन ख़ुशियों भरी घड़ियों में रब्बे करीम की ना फ़रमानी से बचने की कोशिश भी करनी चाहिये ।

          ह़ज़रते सय्यिदुना ज़ियाद बिन उ़बैद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से मन्क़ूल है : ने'मत पाने वाले पर अल्लाह पाक का एक ह़क़ येह है कि वोह उस ने'मत के ज़रीए़ ना फ़रमानी न करे । (تاریخ مدینہ دمشق لابن عساکر، زیاد بن عبید،۱۹/۱۹۱)

अल्लाह पाक की ने'मत का शुक्र अदा करने के चन्द जाइज़ त़रीके़ येह हैं : (1) ज़बान से अल्लाह पाक की ह़म्द (या'नी उस की ता'रीफ़ बयान) की जाए । (2) तिलावते क़ुरआने पाक और इजतिमाए़ ज़िक्रो ना'त का एहतिमाम किया जाए । (3) ख़ूब ख़ूब सदक़ा व ख़ैरात की जाए । (4) अच्छी अच्छी निय्यतें कर के नेक आ'माल में इज़ाफ़ा करने की कोशिश करे और (5) ने'मत मिलने की ख़ुशी में सजदए शुक्र अदा किया जाए कि हमारे प्यारे आक़ा, दो आ़लम के दाता صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को जब कोई ख़ुशी ह़ासिल होती, तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सजदए शुक्र अदा करते । (ابن ماجہ ،۲/۱۶۳،حدیث:۱۳۹۴)

        शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपनी मायानाज़ तस्नीफ़ "नमाज़ के अह़काम" सफ़ह़ा नम्बर 285 पर लिखते हैं : औलाद पैदा हुई या माल पाया या गुमी हुई चीज़ मिल गई या मरीज़ ने शिफ़ा पाई या मुसाफ़िर वापस आया, अल ग़रज़ ! किसी ने'मत के ह़ुसूल पर सजदए शुक्र करना मुस्तह़ब है, इस का त़रीक़ा वोही है जो सजदए तिलावत का है ।

(फ़तावा हिन्दिया, 1 / 136, رَدُّالْمُحتار،۲/۷۲۰)

          इसी त़रह़ जब भी कोई ख़ुश ख़बरी या ने'मत मिले, तो सजदए शुक्र करना कारे सवाब है, मसलन मदीनए मुनव्वरा का वीज़ा लग गया, किसी पर इनफ़िरादी कोशिश कामयाब हुई और वोह दा'वते इस्लामी के सुन्नतों की तरबिय्यत के मदनी क़ाफ़िले में सफ़र के लिये तय्यार हो गया, किसी सुन्नी आ़लिमे बा अ़मल की ज़ियारत हो गई, मुबारक ख़्वाब नज़र आया, त़ालिबे इ़ल्मे दीन इम्तिह़ान में कामयाब हुवा, आफ़त टली या कोई दुश्मने इस्लाम मरा वग़ैरा वग़ैरा (इन तमाम मवाके़अ़ पर सजदए शुक्र करना मुस्तह़ब है) ।

          अल्लाह पाक हमें शरीअ़त के दाइरे में रहते हुवे ख़ुशियां मनाने की तौफ़ीक़ नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

इमाम राज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ और शैत़ान

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बुज़ुर्गों की सीरत पर चलते हुवे ज़िन्दगी बसर करना न सिर्फ़ दुन्या व आख़िरत में ढेरों भलाइयां पाने का सबब है बल्कि इन नेक हस्तियों से निस्बत हमारे आख़िरी वक़्त में भी काम आती है ।