Book Name:Allah Walon Kay Ikhtiyarat
जैसा कि शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपने रिसाले "वस्वसे और उन का इ़लाज" सफ़ह़ा नम्बर 11 पर नक़्ल फ़रमाते हैं कि (ह़ज़रते सय्यिदुना) इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के नज़्अ़ का वक़्त जब क़रीब आया, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के पास शैत़ान ह़ाज़िर हुवा क्यूंकि उस वक़्त शैत़ान जान तोड़ कोशिश करता है कि किसी त़रह़ इस (बन्दे) का ईमान सल्ब हो जाए (या'नी छीन लिया जाए कि) अगर उस वक़्त (वोह बन्दा ईमान से) फ़िर गया, तो फिर कभी न लौट सकेगा । शैत़ान ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से पूछा कि तुम ने तमाम उ़म्र मुनाज़रों, बह़्सों में गुज़ारी, ख़ुदा पाक को भी पहचाना ? आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने फ़रमाया : बेशक ख़ुदा पाक एक है । शैत़ान बोला : इस पर क्या दलील ? आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने एक दलील पेश की । शैत़ान फ़िरिश्तों का उस्ताद रह चुका है, उस ने वोह दलील तोड़ दी । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने दूसरी दलील क़ाइम की, उस ख़बीस ने वोह भी तोड़ दी, यहां तक कि तीन सौ साठ दलीलें ह़ज़रते (सय्यिदुना) इमाम राज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने क़ाइम कीं मगर उस लई़न ने (अपने बुरे ख़याल में) सब तोड़ दीं । अब इमाम साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ सख़्त परेशानी और मायूसी में मुब्तला हुवे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के पीर, ह़ज़रते शैख़ नजमुद्दीन कुब्रा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ कहीं दूर दराज़ मक़ाम पर वुज़ू फ़रमा रहे थे, वहां से पीर साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने इमाम राज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को आवाज़ दी कि कह क्यूं नहीं देता कि मैं ने ख़ुदा पाक को बे दलील एक माना । (मल्फ़ूज़ात, ह़िस्सा चहारुम, स. 493, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मुर्शिदे कामिल से बैअ़त कर लीजिये
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इस ह़िकायत से मा'लूम हुवा ! अल्लाह पाक ने अपने नेक बन्दों को इस क़दर त़ाक़त अ़त़ा फ़रमाई है कि येह ह़ज़रात न सिर्फ़ मीलों दूर के ह़ालात मुलाह़ज़ा फ़रमा लिया करते हैं बल्कि मदद भी फ़रमाते हैं । जैसा कि ह़ज़रते शैख़ नजमुद्दीन कुब्रा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने अपने मुरीद को उस के आख़िरी वक़्त में शैत़ान से बचा लिया । येह भी मा'लूम हुवा ! दुन्या में किसी नेक और जामेअ़ शराइत़ पीर के हाथ में हाथ देना, या'नी उन से मुरीद हो जाना, ईमान की ह़िफ़ाज़त के लिये मुफ़ीद है । किसी को पीर इस लिये बनाया जाता है ताकि उमूरे आख़िरत में बेहतरी आए, उस की रहनुमाई और बात़िनी तवज्जोह की बरकत से मुरीद, अल्लाह पाक और उस के रसूल, रसूले मक़्बूल, बीबी आमिना के गुल्शन के महकते फूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नाराज़ी वाले कामों से बचते हुवे अल्लाह पाक की रिज़ा वाले कामों के मुत़ाबिक़ अपने शबो रोज़ गुज़ार सकें ।
अफ़्सोस ! मौजूदा ज़माने में कई लोगों ने पीरी मुरीदी जैसे अहम मन्सब को ह़ुसूले दुन्या का ज़रीआ़ बना रखा है । बे शुमार बद अ़क़ीदा और गुमराह लोग भी तसव्वुफ़ का ज़ाहिरी जुब्बा ओढ़ कर लोगों के दीन व ईमान को बरबाद कर रहे हैं । पीरे कामिल की