Allah Walon Kay Ikhtiyarat

Book Name:Allah Walon Kay Ikhtiyarat

दा'वते इस्लामी की नेक नामी और तश्हीर होगी । ٭ सदाए मदीना लगाने वाला बार बार मुसलमानों को ह़ज और मीठा मदीना देखने की दुआ़ देता है । अल्लाह पाक ने चाहा, तो येह दुआ़एं उस के ह़क़ में भी क़बूल होंगी । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब सदाए मदीना सगाने की एक मदनी बहार सुनिये और झूमिये । चुनान्चे,

सरकार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह से बुलावा आ गया

          मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के एक अ़लाके़ के मुक़ीम इस्लामी भाई जो आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता तो थे लेकिन मदनी कामों के सिलसिले में सुस्ती का शिकार थे । इत्तिफ़ाक़ से मोह़र्रमुल ह़राम 1431 हि., ब मुत़ाबिक़ जनवरी 2010 ई़. को आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के ज़ोनल मुशावरत के ज़िम्मेदार इस्लामी भाई से उन की मुलाक़ात हुई, जब उन्हें उन की मदनी कामों में दिलचस्पी न होने का इ़ल्म हुवा, तो उन्हों ने इनफ़िरादी कोशिश करते हुवे न सिर्फ़ उन्हें मदनी काम करने का ज़ेहन दिया बल्कि सदाए मदीना की पाबन्दी करने की तरग़ीब भी दिलाई और इस बारे में उन्हों ने शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ का फ़रमान "सदाए मदीना, दिखाए मदीना" भी सुनाया । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ उन का ज़ेहन बन गया और ह़ाज़िरिये मदीना की उम्मीद पर अगले ही दिन इस पर अ़मल शुरूअ़ कर दिया । सदाए मदीना क्या लगानी शुरूअ़ की, उन पर तो अल्लाह करीम और उस के ह़बीब, ह़बीबे लबीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का करम हो गया, क़िस्मत का सितारा यूं चमका कि उसी साल उन्हें बारगाहे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ह़ाज़िरी का शरफ़ ह़ासिल हो गया । करम बालाए करम ! येह कि सदाए मदीना की बरकत से उन के बड़े भाई को भी ह़ज की सआ़दत नसीब हो गई ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! जब भी मौक़अ़ मिले, तो अल्लाह पाक के नेक बन्दों की बारगाह से फै़ज़ पाने के लिये इन की सोह़बत में बैठना चाहिये और दीगर अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ साथ दिल में येह इरादा भी होना चाहिये कि मैं इन से दीनी और उख़रवी फ़ाइदे के लिये इन की सोह़बत इख़्तियार कर रहा हूं । अल्लाह पाक के नेक बन्दों की सोह़बत इख़्तियार करने का एक फ़ाइदा येह भी होता है कि इन की सीरत व किरदार और अच्छे आ'माल देख कर अपने आप को गुनाहों से बचाने और नेकियां करने की तौफ़ीक़ मिल जाती है, दिल की सख़्ती दूर होती है, रिक़्क़त व नर्मी पैदा हो जाती है, ईमान पर ख़ातिमे और क़ब्रो ह़श्र के हौलनाक मुआ़मलात की फ़िक्र नसीब होती है । अल ग़रज़ ! जब भी येह सआ़दत नसीब हो, तो किसी दुन्यवी लालच में हरगिज़ न जाए बल्कि दीनी फ़ाइदा ह़ासिल करने की निय्यत से जाना चाहिये । चुनान्चे,