Allah Walon Kay Ikhtiyarat

Book Name:Allah Walon Kay Ikhtiyarat

اَنِّیْۤ اَخْلُقُ لَكُمْ مِّنَ الطِّیْنِ كَهَیْــٴَـةِ الطَّیْرِ فَاَنْفُخُ فِیْهِ فَیَكُوْنُ طَیْرًۢا بِاِذْنِ اللّٰهِۚ-وَ اُبْرِئُ الْاَكْمَهَ وَ الْاَبْرَصَ وَ اُحْیِ الْمَوْتٰى بِاِذْنِ اللّٰهِۚ   (پ 3، آل عمران، 49)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : मैं तुम्हारे लिये मिट्टी से परिन्दे जैसी एक शक्ल बनाता हूं फिर उस में फूंक मारूंगा, तो वोह अल्लाह के ह़ुक्म से फ़ौरन परिन्दा बन जाएगी और मैं पैदाइशी अन्धों को और कोढ़ के मरीज़ों को शिफ़ा देता हूं और मैं अल्लाह के ह़ुक्म से मुर्दों को ज़िन्दा करता हूं ।

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि ह़ज़रते सय्यिदुना ई़सा عَلَیْہِ السَّلَام साफ़ साफ़ ए'लान फ़रमा रहे हैं कि मैं अल्लाह पाक की बख़्शी हुई क़ुदरत के ज़रीए़ मिट्टी से परिन्दा बना कर उस में रूह़ फूंकता हूं, पैदाइशी अन्धों को आंखों की रौशनी और कोढ़ियों (या'नी सफे़द दाग़ वाले मरीज़ों) को शिफ़ा देता हूं, ह़त्ता कि मुर्दों को भी ज़िन्दा कर दिया करता हूं । फै़ज़ाने अम्बियाए किराम से औलियाए इ़ज़्ज़ाम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن को भी इख़्तियारात दिये जाते हैं और वोह भी ऐसे काम सर अन्जाम देते हैं कि अ़क़्लें ह़ैरान रह जाती हैं । जैसा कि :

          ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान عَلَیْہِ السَّلَام के वज़ीर, ह़ज़रते आसिफ़ बिन बरख़िया رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने अल्लाह पाक के अ़त़ा कर्दा इख़्तियार को इस्ति'माल करते हुवे पलक झपकने से पहले पहले मुल्के यमन से तख़्ते बिल्क़ीस को ह़ज़रते सुलैमान عَلَیْہِ السَّلَام की बारगाह में पेश कर दिया, जिसे क़ुरआने पाक ने इन अल्फ़ाज़ में बयान किया है । चुनान्चे, पारह 19, सूरतुन्नम्ल की आयत नम्बर 40 में इरशाद होता है :

اَنَا اٰتِیْكَ بِهٖ قَبْلَ اَنْ یَّرْتَدَّ اِلَیْكَ طَرْفُكَؕ   (پ 19، الانمل، 40)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : मैं उसे आप की बारगाह में आप के पलक झपकने से पहले ले आऊंगा ।

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि एक वलिय्युल्लाह ने अल्लाह पाक की अ़त़ा कर्दा क़ुव्वत से अस्सी गज़ लम्बा और चालीस गज़ चौड़ा, जवाहिरात से आरास्ता तख़्त इन्तिहाई कम वक़्त में मुल्के यमन से ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान عَلَیْہِ السَّلَام के दरबार में पेश कर दिया ।

          सदरुश्शरीआ़, बदरुत़्त़रीक़ा, मुफ़्ती अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن को अल्लाह पाक ने बहुत बड़ी त़ाक़त दी है, उन में जो (औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की क़िस्म) अस्ह़ाबे ख़िदमत हैं, (वोह) सियाह, सफे़द के मुख़्तार बना दिये जाते हैं, येह ह़ज़रात, नबी صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सच्चे नाइब (ख़लीफ़ा) हैं, इन को इख़्तियारात ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की नियाबत में (या'नी आप के नाइब होने की बरकत से) मिलते हैं (और) उ़लूमे ग़ैबिया (या'नी छुपे हुवे उ़लूम) उन पर मुन्कशिफ़ (या'नी ज़ाहिर) होते हैं । (बहारे शरीअ़त, 1 / 267) अल्लाह पाक के मह़बूब बन्दों पर उस का ख़ुसूसी करम होता है, उन के कामों में अल्लाह पाक की त़रफ़ से मदद शामिल हो