Jawani Me Ibadat kay Fazail

Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail

जब लोग जमाअ़त की सूरत में आएंगे, तो मैं ही उन का राहनुमा हूंगा, जब वोह (क़ियामत की हौलनाकियों के सबब) ख़ामोश हो जाएंगे, तो मैं ही उन का ख़त़ीब (या'नी ख़ुत़्बा पढ़ने वाला) हूंगा, जब वोह रोके जाएंगे, तो मैं ही उन का सिफ़ारिश करने वाला हूंगा, जब वोह ना उम्मीद हो जाएंगे, तो मैं ही उन्हें ख़ुश ख़बरी सुनाने वाला हूंगा । बुज़ुर्गी और (अल्लाह पाक के) तमाम ख़ज़ानों की चाबियां उस दिन मेरे हाथों में होंगी और मैं औलादे आदम में अल्लाह पाक के नज़दीक सब से ज़ियादा बुज़ुर्गी वाला हूंगा, एक हज़ार ख़िदमत गुज़ार मेरे इर्द गिर्द होंगे । (دارمی،باب ما اعطی النبی من الفضل،۱/۳۹، حدیث:۴۸)

        سُبْحٰنَ اللّٰہ ! क़ुरबान जाइये ! अव्वलीन व आख़िरीन के सरदार और अल्लाह पाक की अ़त़ा से मालिको मुख़्तार होने के बा वुजूद भी आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के शौके़ इ़बादत का येह आ़लम था कि कसरते इ़बादत के सबब क़दमैने शरीफै़न पर सूजन के निशानात ज़ाहिर हो जाते और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उम्मत के गुनाहगारों की बख़्शिश की ख़ात़िर आहो ज़ारी फ़रमाया करते । इस में बिल ख़ुसूस उन नौजवानों के लिये नसीह़त के मदनी फूल मौजूद हैं कि जिन का दिल इ़बादत की जानिब माइल नहीं होता और वोह सारी सारी रात फ़ुज़ूलिय्यात में बरबाद कर देते हैं । लिहाज़ा ऐसों की ख़िदमत में अ़र्ज़ है कि ख़ुदारा ! मोह़सिने इन्सानिय्यत, ग़म ख़्वारे उम्मत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के आंसूओं को याद कीजिये, दुन्या व आख़िरत में काम्याबी पाने के लिये अह़कामे ख़ुदावन्दी की बजा आवरी, नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नतों की पैरवी और उख़रवी इनआ़मात पाने की ह़िर्स में ख़ूब ख़ूब नेकियां कीजिये ।

जवानी को बुढ़ापे से पहले ग़नीमत जानो

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! याद रखिये ! जवानी में इ़बादत की तौफ़ीक़ नसीब हो जाना बहुत बड़ी ने'मत है क्यूंकि जवानी की देहलीज़ पर क़दम रखते ही इन्सान, शैत़ान की ख़त़रनाक चालों, नफ़्स की नाजाइज़ ख़्वाहिशों, बुरे दोस्तों की सोह़बतों, दुन्यवी मुस्तक़्बिल बेहतर बनाने की फ़िक्रों