Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail
(کنزالعمال،حرف المیم،کتاب المواعظ و الحکم ،الترغیب الاحادی من الاکمال،الجزء:۱۵،۸/۳۳۲،حدیث:۴۳۱۰۱)
नौजवानों की इस्लाह़ और दा'वते इस्लामी का किरदार
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इस पुर फ़ितन दौर में सुन्नतों से दूर, ह़िर्स व लालच के नशे में चूर और नफ़्सो शैत़ान के हाथों मजबूर हो कर गुनाहों के सैलाब में बहने वाले नौजवानों की इस्लाह़ और अख़्लाक़ी तरबिय्यत के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़्त 63 रोज़ा मदनी तरबिय्यती कोर्स भी होता है । इस कोर्स की अहम्मिय्यत के मुतअ़ल्लिक़ शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ फै़ज़ाने सुन्नत, जिल्द अव्वल, सफ़ह़ा 510 पर फ़रमाते हैं : اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की सोह़बतों से माला माल 63 रोज़ा (मदनी) तरबिय्यती कोर्स आख़िरत के लिये इस क़दर नफ़्अ़ बख़्श है कि इस में जो कुछ सीखने को मिलता है, उस की तफ़्सीलात मा'लूम हो जाने के बा'द शायद दीन का दर्द रखने वाला हर मुसलमान येह ह़सरत करेगा कि काश ! मुझे भी 63 रोज़ा (मदनी) तरबिय्यती कोर्स करने की सआ़दत ह़ासिल हो जाए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! बाबुल मदीना के इ़लावा दीगर शहरों में भी (मदनी) तरबिय्यती कोर्स का सिलसिला किया जाता है । इस में बा'ज़ वोह उ़लूम ह़ासिल होते हैं, जिन का सीखना हर आ़क़िल, बालिग़ मुसलमान पर फ़र्ज़ है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! (मदनी) तरबिय्यती कोर्स में (अख़्लाक़ी तरबिय्यत के साथ साथ) वुज़ू व ग़ुस्ल के इ़लावा नमाज़ का अ़मली त़रीक़ा सिखाया जाता, ग़ुस्ले मय्यित, तजहीज़ो तक्फ़ीन, नमाज़े जनाज़ा व नमाज़े ई़द की तरबिय्यत होती है, मदनी क़ाइ़दे के ज़रीए़ दुरुस्त मख़ारिज के साथ क़ुरआनी हु़रूफ़ की अदाएगी की ता'लीम दी जाती है और क़ुरआने करीम की आख़िरी 20 सूरतें ज़बानी ह़िफ़्ज़ और सूरतुल मुल्क की मश्क़ करवाई जाती है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! इस की बरकत से बहुत से नौजवान दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो चुके हैं और उन की बे रौनक़ ज़िन्दगियों में मदनी बहारें आ गईं और वोह अपनी जवानी के पुर बहार अय्याम अल्लाह पाक और उस के प्यारे रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के