Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail
- सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ कई रातें मुसल्सल फ़ाक़ा फ़रमाते । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अहले ख़ाना को रात की रोटी मुयस्सर न आती और अक्सर जव की रोटी खाते । (ترمذی،کتاب الزھد،۴ /۱۶۰، حدیث: ۲۳۶۷)
- इरशाद फ़रमाया : मेरे रब्बे करीम ने मेरे लिये इरशाद फ़रमाया : मेरे वासिते़ मक्कए मुकर्रमा के पहाड़ों को सोने का बना दिया जाए मगर मैं ने अ़र्ज़ किया : या अल्लाह करीम ! मुझे तो येह पसन्द है कि अगर एक दिन खाऊं, तो दूसरे दिन भूका रहूं ताकि जब भूका रहूं, तो तेरी त़रफ़ गिर्या व ज़ारी करूं और तुझे याद करूं और जब खाऊं, तो तेरा शुक्र व ह़म्द करूं । (ترمذی،کتاب الزھد،۴/۱۵۵، حدیث:۲۳۵۴)
٭ ह़ुज्जतुल इस्लाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : खाने से पहले भूक लगी होना ज़रूरी है । जो कोई खाना शुरूअ़ करते वक़्त भी भूका हो और अभी भूक बाक़ी हो और हाथ खींच ले, वोह हरगिज़ त़बीब का मोह़्ताज न होगा । (इह़याउल उ़लूम, 2 / 5) ٭ पेट भर कर खाना मुबाह़ या'नी जाइज़ है मगर अपने पेट को ह़राम और शुब्हात से बचाते हुवे ह़लाल ग़िज़ा भी भूक से कम खाने में दीनो दुन्या के बे शुमार फ़वाइद हैं । ٭ खाना मुयस्सर न होने की सूरत में मजबूरन भूका रहना कोई कमाल नहीं, वाफ़िर मिक़्दार में खाना मौजूद होने के बा वुजूद अल्लाह करीम की रिज़ा की ख़ात़िर भूक बरदाश्त करना, येह ह़क़ीक़त में कमाल है । ٭ रोज़ाना एक मरतबा खाना सुन्नत है । चुनान्चे, सरकारे मदीना, राह़ते क़ल्बो सीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ जब सुब्ह़ खाना खा लेते, तो शाम को न खाते और अगर शाम को तनावुल फ़रमा लेते, तो सुब्ह़ न खाते । (کنزالعُمّال،کتاب الشمائل، حصہ۷،۴/۳۹، حدیث: ۱۸۱۷۳) ٭ अगर दीनो दुन्या के कामों में रुकावट न पड़ती हो, वालिदैन वग़ैरा भी नाराज़ न होते हों, तो ख़ूब नफ़्ल रोज़े रखने चाहियें । ٭ डट कर खाने से पेट भारी हो जाता, आ'ज़ा ढीले पड़ जाते और बदन सुस्त हो जाता है और इ़बादात में दिलजमई़ नसीब नहीं होती । ٭ कम खाने से प्यास भी कम लगती