Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail
इ़बादत की बरकत से बुढ़ापे में भी जवान
ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ल्लामा जै़नुद्दीन अ़ब्दुर्रह़मान इबने रजब ह़म्बली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ जवानी में इ़बादत करने से मुतअ़ल्लिक़ बहुत प्यारी बात इरशाद
फ़रमाते हैं : जिस ने अल्लाह करीम को उस वक़्त याद रखा जब वोह जवान और तन्दुरुस्त था, अल्लाह करीम उस का उस वक़्त ख़याल रखेगा जब वोह बूढ़ा और कमज़ोर हो जाएगा और उसे बुढ़ापे में भी अच्छी क़ुव्वते समाअ़त (या'नी सुनने की क़ुव्वत), बसारत (या'नी देखने की क़ुव्वत), त़ाक़त और ज़िहानत अ़त़ा फ़रमाएगा । ह़ज़रते सय्यिदुना अबुत़्त़य्यिब त़बरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने सौ साल से ज़ियादा उ़म्र पाई, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ज़ेहनी व जिस्मानी लिह़ाज़ से तन्दुरुस्त और त़ाक़त वर थे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से किसी ने सिह़ह़त का राज़ पूछा तो इरशाद फ़रमाया : मैं ने जवानी में अपनी जिस्मानी सलाह़िय्यतों को गुनाह से मह़फ़ूज़ रखा और आज जब मैं बूढ़ा हो गया हूं, तो अल्लाह करीम ने उन्हें मेरे लिये बाक़ी रखा है जब कि ह़ज़रते सय्यिदुना जुनैद बग़दादी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने एक बूढ़े शख़्स को देखा जो भीक मांग रहा था । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने फ़रमाया : इस शख़्स ने जवानी में अल्लाह करीम के हु़क़ूक़ को ज़ाएअ़ किया, तो अल्लाह पाक ने बुढ़ापे में इस की क़ुव्वत को ज़ाएअ़ फ़रमा दिया । (مجموعہ رسائلِ ابنِ رجب ،قولہ یحفظک،۳/۱۰۰ملخصاً)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि अल्लाह करीम के नेक बन्दों ने अपनी जवानी के गुल्शन को इ़बादतो रियाज़त के पानी से सैराब किया और गुनाहों से बचते रहे, तो अल्लाह करीम ने बुढ़ापे में भी उन पर जवानी के असरात बाक़ी रखे मगर अफ़्सोस ! हमारी नौजवान नस्ल इ़बादत व तिलावत में मश्ग़ूल रहने के बजाए मोबाइल फ़ोन, इन्टरनेट, सोशल मीडिया (Social Media) और टीवी के ग़लत़ इस्ति'माल के सबब अपना क़ीमती वक़्त बे दर्दी व बे फ़िक्री के साथ बरबाद करती नज़र आती है । मोबाइल फ़ोन जदीद टेकनॉलोजी का एक ह़िस्सा, वक़्त की ज़रूरत और राबिते़ का अहम ज़रीआ़ है, जहां येह हमारे लिये मुफ़ीद है, वहीं इस का ग़लत़ इस्ति'माल बहुत से