Jawani Me Ibadat kay Fazail

Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail

(मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 16, मुलख़्ख़सन)

रियाज़त  के  येही  दिन  हैंबुढ़ापे  में  कहां  हिम्मत

जो कुछ करना हो अब कर लो, अभी नूरी जवां तुम हो

(सामाने बख़्शिश अज़ शहज़ादए आ'ला ह़ज़रत, मुफ़्तिये आ'ज़मे हिन्द رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ)

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

पांच सुवालात

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! जवानी यक़ीनन अल्लाह करीम की अ़त़ा कर्दा ने'मतों में से एक अ़ज़ीम ने'मत है कि जिस की कोई क़ीमत नहीं, एक बार चली जाए, तो फिर अरबों, खरबों रुपये ख़र्च करने से भी ह़ासिल नहीं होती । अगर हम ने दुन्या में रहते हुवे अपनी जवानी अल्लाह करीम की इत़ाअ़त व इ़बादत में गुज़ारी होगी, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ बरोज़े क़ियामत शर्मिन्दगी से बच सकेंगे, वरना इस ने'मत की क़द्र न करने के सबब शदीद ज़िल्लतो ख़्वारी उठानी पड़ सकती है क्यूंकि क़ियामत के दिन जवानी से मुतअ़ल्लिक़ भी सुवाल किया जाएगा । चुनान्चे,

          शफ़ीए़ रोज़े शुमार, दो आ़लम के मालिको मुख़्तार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : क़ियामत के दिन बन्दा उस वक़्त तक क़दम न उठा सकेगा जब तक उस से पांच चीज़ों के बारे में सुवाल न कर लिया जाए । (1) उ़म्र किन कामों में गुज़ारी ? (2) जवानी किन कामों में ख़र्च की ? (3) माल कहां से कमाया ? (4) कहां ख़र्च किया ? और (5) अपने इ़ल्म पर कहां तक अ़मल किया ? (ترمذی، کتاب صفۃ القیامۃ...الخ، باب فی القیامۃ،۴/۱۸۸،حدیث: ۲۴۲۴)

        जो ख़ुश नसीब अपनी जवानी की क़द्र करते हुवे नफ़्सानी ख़्वाहिशात से मुंह मोड़ कर सिर्फ़ अल्लाह करीम की रिज़ा के हु़सूल की ख़ात़िर अपने शबो रोज़ इ़बादतो रियाज़त में गुज़ारता है, तो वोह दुन्या व आख़िरत की ढेरों भलाइयां पा लेता है । आइये ! इस ज़िमन में चार फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनते हैं :