Jawani Me Ibadat kay Fazail

Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail

          ह़ज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : जब बन्दा (ह़ालते इस्लाम में नेकियां करते हुवे) उ़म्र के उस ह़िस्से में पहुंच जाए कि उसे किसी चीज़ के मुतअ़ल्लिक़ (पहले से) इ़ल्म होने के बा वुजूद (ब वक़्ते ज़रूरत) वोह चीज़ याद न रहे, तो अल्लाह करीम उस के नामए आ'माल में वोह नेकियां भी लिखता रहता है जो वोह अपनी सिह़ह़त के ज़माने में किया करता था । (مُسْنَدِ اَبِیْ یَعْلٰی، مسند انس بن مالک،عبداللہ بن عبدالرحمن الانصاری عن انس، ۳/۲۹۳،حدیث:۳۶۶۶)

ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : जो बूढ़ा आदमी बुढ़ापे की वज्ह से ज़ियादा इ़बादत न कर सके मगर जवानी में बड़ी (ख़ूब) इ़बादतें करता रहा हो, तो अल्लाह पाक उसे मा'ज़ूर क़रार दे कर उस के नामए आ'माल में वोही जवानी की इ़बादत लिखता है ।

(मिरआतुल मनाजीह़, 7 / 89)

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "सदाए मदीना"

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! जवानी में इ़बादत का जज़्बा बढ़ाने और नफ़्सो शैत़ान की चालों से होश्यार रहने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रह कर ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिये । ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "सदाए मदीना" लगाना भी है । दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में मुसलमानों को नमाज़े फ़ज्र के लिये जगाने को सदाए मदीना लगाना कहते हैं । याद रहे ! इस मदनी काम का रिसाला बनाम "सदाए मदीना" भी मन्ज़रे आ़म पर आ चुका है ।

          ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ सदाए मदीना की बरकत से नमाज़े तहज्जुद की सआ़दत मिल सकती है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से नमाज़ की ह़िफ़ाज़त होती है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से मस्जिद की पहली सफ़ में तक्बीरे ऊला के साथ नमाज़े फ़ज्र की अदाएगी हो सकती है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से नेकी की दा'वत देने का सवाब भी कमाया जा सकता है । ٭ सदाए मदीना की बरकत से दा'वते इस्लामी की नेक नामी और तश्हीर होगी । ٭ सदाए मदीना लगाने