Jawani Me Ibadat kay Fazail

Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail

। मैं ने अ़र्ज़ की : मुझे अपनी ख़्वाहिश के बजाए, आप का रब्बे करीम के क़रीब होना ज़ियादा पसन्द है । चुनान्चे, आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ घर के एक कोने में खड़े हो कर रोने लगे फिर अच्छी त़रह़ वुज़ू कर के क़ुरआने करीम पढ़ना शुरूअ़ किया, तो दोबारा अश्कबारी फ़रमाई, ह़त्ता कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मुबारक आंखों से निकलने वाले आंसू ज़मीन तक जा पहुंचे । इतने में मोअज़्ज़िने रसूल, ह़ज़रते सय्यिदुना बिलाले ह़बशी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ह़ाज़िर हुवे । तो आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को रोता देख कर अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मेरे मां-बाप आप पर क़ुरबान ! किस चीज़ ने आप को रुलाया ? ह़ालांकि आप के सदक़े तो अल्लाह करीम आप के अगलों और पिछलों के गुनाह बख़्शेगा । इरशाद फ़रमाया : क्या मैं शुक्र गुज़ार बन्दा न बनूं ?

 (درّۃ الناصحین ،المجلس الخامس والستون:فی بیان البکاء ، ص۲۵۳-۲۵۴)

रोता है जो रातों को उम्मत की मह़ब्बत में    वोह शाफे़ए़ मह़शर है सरदार मदीने का

रातों को जो रोता है और ख़ाक पे सोता है     ग़म ख़्वार है, सादा है मुख़्तार मदीने का

क़ब्जे़ में दो आ़लम हैं पर हाथ का तक्या है     सोता है चटाई पर सरदार मदीने का

(वसाइले बख़्शिश, स. 180)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि हमारे बख़्शे बख़्शाए आक़ा, हम गुनाहगारों को बख़्शवाने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मा'सूम बल्कि मा'सूमों और इ़बादत गुज़ारों के सरदार होने के बा वुजूद किस क़दर गिर्या व ज़ारी के साथ अल्लाह पाक की इ़बादत किया करते, ह़ालांकि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शानो अ़ज़मत इस क़दर बुलन्दो बाला है कि अल्लाह पाक ने आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को मालिको मुख़्तार बनाया है, आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ, रब्बे करीम की अ़त़ा से अपने इख़्तियार से रोज़े मह़शर बख़्शिश से ना उम्मीद होने वाले गुनहगारों की शफ़ाअ़त फ़रमाएंगे ।

          आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ अपनी शान बयान फ़रमाते हैं : (बरोज़े क़ियामत) सब से पहले मैं (अपने मज़ारे मुबारक से) बाहर तशरीफ़ लाऊंगा,