Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat
कबीरा गुनाह करता है, लिहाज़ा आफ़िय्यत इसी में है कि अपना बैंक बेलेन्स बढ़ाने और ख़ज़ानों के अम्बार जम्अ़ करने के बजाए अल्लाह पाक की त़रफ़ से जो ने’मतें अ़त़ा की गईं हैं उन्ही पर क़नाअ़त करते हुवे उस की रिज़ा पर राज़ी रहते हुवे ह़िर्स की आलूदगियों से ख़ुद को बचाना चाहिये कि जो ख़ुश
नसीब लोग ह़िर्स व लालच से अपने आप को दूर रखते हैं उन के लिये काम्याबी की बिशारत है । चुनान्चे, पारह 28, सूरतुल ह़श्र की आयत नम्बर 9 में इरशादे ख़ुदावन्दी है :
وَ مَنْ یُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰٓىٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَۚ(۹) ( پ ۲۸، الحشر:۹)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और जो अपने नफ़्स के लालच से बचा लिया गया, तो वोही लोग कामयाब हैं ।
शैख़ुल ह़दीस, ह़ज़रते अ़ल्लामा अ़ब्दुल मुस्त़फ़ा आ’ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : लालच बहुत ही बुरी ख़स्लत और निहायत ख़राब आदत है, अल्लाह करीम की त़रफ़ से बन्दे को जो रिज़्क़ व ने’मत और मालो दौलत या जाह (या’नी इ़ज़्ज़त) व मर्तबा मिला है, उस पर राज़ी हो कर क़नाअ़त कर लेनी चाहिये, दूसरों की दौलतों और ने’मतों को देख देख कर ख़ुद भी उस को ह़ासिल करने के लिये परेशान ह़ाल रहना और ग़लत़ व सह़ीह़ हर क़िस्म की तदबीरों में दिन रात लगे रहना, येही जज़्बए ह़िर्स व लालच कहलाता है और ह़िर्स व त़मअ़ दर ह़क़ीक़त इन्सान की एक पैदाइशी ख़स्लत है । (जन्नती ज़ेवर, 110)
ह़दीस शरीफ़ में है कि अगर इन्सान के पास माल की दो वादियां भी हों, तो वोह तीसरी वादी की तमन्ना करेगा और इबने आदम के पेट को क़ब्र की मिट्टी के सिवा कोई चीज़ नहीं भर सकती ।
( مسلم ، کتاب الزکاۃ ، باب لوان لابن آدم وادیین لابتغی ثالثاً ، ص۵۲۱، رقم: ۱۰۴۸ )
سُبْحٰنَ اللہ आप ने सुना कि सरकारे मदीना, सुरूरे क़ल्बो सीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने किस क़दर जामेअ़ अन्दाज़ में ह़िर्स से मुतअ़ल्लिक़ हमारी रहनुमाई फ़रमाई कि इन्सान की ह़िर्स कभी पूरी नहीं होती, अगर उसे सोने से भरी वादियां भी मिल जाएं तब भी मज़ीद की ख़्वाहिश करता है और हरगिज़