Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! दौरे ह़ाज़िर में मीडिया, ज़ेह्न साज़ी व किरदार साज़ी में एक कारगर हथयार का काम कर रहा है । बहुत से लोग अपने मख़्सूस गुमराह कुन, बात़िल नज़रिय्यात और उ़रयानी व फ़ह़्ह़ाशी फैलाने के लिये शबो रोज़ इस का ग़लत़ इस्ति’माल करने लगे, जिस के बाइ़स नौजवान नस्ल इन बुरे असरात व अफ़्कार की लपेट में आ गई । ऐसे में हर दर्दमन्द दिल की बस एक ही सदा थी कि काश ! कोई मीडिया की इस जंग में अ़क़ाइदे अहले सुन्नत की पासबानी का झन्डा उठा ले और पाकीज़गिये फ़िक्र और इस्लाह़े अ़क़ाइदो आ’माल का अ़लम बरदार एक ख़ालिस इस्लामी चेनल शुरूअ़ करे । आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा’वते इस्लामी की मर्कज़ी मजलिसे शूरा ने बड़ी शिद्दत से मह़सूस किया कि मुसलमानों के घरों से T.V निकलवाना क़रीब ब ना मुमकिन है, बस एक ही सूरत नज़र आई और वोह येह कि जिस त़रह़ दरया में त़ुग़यानी आती है, तो उस का रुख़ खेतों वग़ैरा की त़रफ़ मोड़ दिया जाता है ताकि खेत भी सैराब हों और आबादियों को भी हलाकत से बचाया जा सके, इसी त़रह़ T.V ही के ज़रीए़ मुसलमानों के घरों में दाख़िल हो कर उन को ग़फ़्लत की नींद से बेदार किया जाए । जब इस शो’बे के मुतअ़ल्लिक़ मा’लूमात ह़ासिल की गईं, तो मा’लूम हुवा कि अपना T.V चेनल खोल कर फ़िल्मों ड्रामों, गानों, बाजों, मूसीक़ी की धुनों और औरतों की नुमाइशों से बचते हुवे 100 फ़ीसदी इस्लामी मवाद फ़राहम करना मुमकिन है, तो اَلْحَمْدُ لِلّٰہ दा’वते इस्लामी की मर्कज़ी मजलिसे शूरा ने ख़ूब कोशिश कर के रमज़ानुल मुबारक सिने 1429 हि., ब मुत़ाबिक़ सितम्बर सिने 2008 ई. से मदनी चेनल के ज़रीए़ घर घर सुन्नतों का पैग़ाम आम करना शुरूअ़ कर दिया । लोगों के घर का माह़ोल प्यार व मह़ब्बत में तब्दील हो गया, मदनी चेनल की वज्ह से लोगों को शरई़ मसाइल