Book Name:Hirs kay Nuqsanaat or Qana_at ki Barkaat
से आगाही होने लगी और देखते ही देखते, इस के ह़ैरत अंगेज़ मदनी नताइज आने लगे ।
मेहमान नवाज़ी की सुन्नतें व आदाब
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आइये ! शैखे़ त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "क़ब्र का इम्तिह़ान" से मेहमान नवाज़ी के मुतअ़ल्लिक़ मदनी फूल सुनते हैं । पहले दो फ़रामैने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा हों :
- इरशाद फ़रमाया : जो अल्लाह पाक और क़ियामत पर ईमान रखता है उसे चाहिये कि वोह मेहमान का एह़तिराम करे । ( بُخاری، ۴ / ۱۰۵، حدیث:۶۰۱۸ )
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक के तह़्त फ़रमाते हैं : मेहमान का एह़तिराम येह है कि उस से ख़न्दा पेशानी से मिले, उस के लिये खाने और दूसरी ख़िदमात का इन्तिज़ाम करे, ह़त्तल इमकान अपने हाथ से उस की ख़िदमत करे ।
(मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 52)
- इरशाद फ़रमाया : जब कोई मेहमान किसी के यहां आता है, तो अपना रिज़्क़ ले कर आता है और जब उस के यहां से जाता है, तो साह़िबे ख़ाना के गुनाह बख़्शे जाने का सबब होता है । ( کَنْزُ الْعُمّال، ۹ / ۱۰۷، حدیث:۲۵۸۳۱ )
ए’लान
मेहमान नवाज़ी की बक़िय्या सुन्नतें और आदाब तरबिय्यती ह़ल्क़ों में बयान किये जाएंगे, लिहाज़ा इन मदनी फूलों को जानने के लिये तरबिय्यती ह़ल्क़ों में ज़रूर शिर्कत कीजिये ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد